विंध्य में राजेन्द्र शुक्ल का प्रभाव कम करने के लिए सिद्धार्त तिवारी को सीएम ने किया आगे

मप्र की राजनीति अब बदलाव के दौर से गुजर रही है। जहां एक ओर संगठन में बदलाव की तैयारी चल रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार में भी बदलाव का दौर चल पड़ा है। कहते हैं किसी लाइन को खत्म करने के बजाय उस लाइन से बड़ी लाइन खींच देना राजनीति का उसूल होता है। लिहाजा सीएम मोहन यादव इन दिनों कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। दरअसल पूर्व सीएम शिवराज प्रदेश में करीब 18 साल तक सीएम रहे। उनके बनाए नेता आज सरकार में प्रभावशाली नेता हो चुके हैं और वो आज भी शिवराज सिंह चौहान के ही करीबी हैं। लेकिन सीएम डॉ. मोहन यादव अब उन करीबियों को धीरे-धीरे साइडलाइन कर अपने चहेतों को आगे कर सरकार में अपना हाथ मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं। सीएम मोहन यादव यह रणनीति प्रदेश के हर संभाग में अपना रहे हैं। रीवा संभाग,जबलपुर संभाग,ग्वालियर-चंबल संभाग सहित अन्य संभागों में सीएम मोहन यादव ने अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाना शुरु कर दिया है। हाल ही में जिस प्रकार से मऊगंज में राजेन्द्र शुक्ल के होते हुए उन्हे उपेक्षित करने की कोशिश की गई उसके बाद त्योंथर में एक बड़ी जनसभा आयोजित हुई तो उसमें राजेन्द्र शुक्ल की किसी भी होर्डिंग में फोटो लगाना तो दूर उन्हे त्योंथर में बुलाया तक नहीं गया। रीवा के सभी विधायक उस कार्यक्रम में मौजूद थे सिर्फ राजेन्द्र शुक्ल को छोड़ कर। जबकि राजेन्द्र शुक्ल विंध्य से भाजपा के सबसे बड़े और प्रमुख चेहरे माने जाते हैं इसके बाद भी डीप्टी सीएम को नहीं बुलाने का मतलब साफ है कि सीएम मोहन यादव अब एक अलग ही ट्रैक पर चल रहे हैं। Mukhbirmp को मिली सूचना के अनुसार इन दिनों सिद्धार्त तिवारी पर कुछ ज्यादा हे मेहरवान हैं। सिद्धार्त तिवारी को सीएम हाउस में आने- जाने के लिए खुली छूट दे दी गई यही कारण है कि रीवा में सिद्धार्त समर्थक अब उन्हे मंत्रिमंडल में शामिल होने का सपना देख रहे हैं। लेकिन इस बीच यह बात जरुर स्पष्ट हो गई है कि सीएम मोहन यादव अब एक अलग ही ट्रैक पर चल रहे हैं। अपने हाथ मजबूत करने के लिए दूसरों के हाथ में तंबूरा पकड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं।
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