अब बिहार की राजनीति में 'रण' नीति तैयार करेंगे डॉ. नरोत्तम मिश्रा,दो सीटों पर विपक्षियों के मंसूबों को करेंगे ध्वस्त

मप्र की राजनीति के आधुनिक चारणक्य डॉ. नरोत्तम मिश्रा अगले एक महीने तक बिहार के 'रण' में विपक्षियों से दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के लिए एक 'ब्रम्हास्त्र' की तरह हैं। उनको हमेशा ऐसी जगह पर इस्तेमाल किया जाता है जहां पर अन्य नेताओं के पसीने छूट जाते हैं। डॉ. नरोत्तम मिश्रा भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं जो अपनी कुशल रणनीति और राजनीतिक दक्षता के लिए तो पहचाने ही जाते हैं साथ ही वो एक ऐसे वक्ता भी हैं जिन्हे विपक्षी भी सुनने के लिए कुछ देर तक ठहरने को मजबूर हो जाते हैं। डॉ. मिश्रा का जब संबोधन होता है तो वो समय और परिस्थितियों के हिसाब से बात करते हैं। शेरों सायरी से वो ऐसा समां बांधते हैं कि वहां से गुजरने वाले लोग भी उनका भाषण सुनने के लिए सहसा ही ठहरने को मजबूर हो जाते हैं यही विशेषता उन्हे अन्य नेताओं से भिन्न बनाती है। उनकी इन्ही विशेषताओं के कारण ही डॉ. नरोत्तम मिश्रा की चुनाव में काफी डिमांड रहती है। खास कर उनकी कट्टर हिंदुत्व के साथ ब्राह्मण हितैषी की जो छवि है उसके कारण ही उसको भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व समय-समय पर इस्तेमाल करता रहता है। बिहार से पहले उनको पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र फिर दिल्ली में चुनावी कमान सौंपी गई थी जहां पर उन्होने पार्टी के पक्ष में 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता हासिल की। अब बिहार के मुजफ्फरपुर और बोंचहा विधानसभा सीट में चुनाव प्रबंधन देखने की जिम्मेदारी पूर्व गृह मंत्री को दी गई है। इस विषय पर उनका एक ही वक्तव्य है कि पार्टी उनको काम दे रही है ये कम नहीं। पार्टी उनको ऐसे ही काम देती रहे और वो पार्टी के काम आते रहें उससे ज्यादा उन्हे कुछ नहीं चाहिए। साथ ही उन्होने कहा कि जो प्राप्त है वो पर्याप्त है। पार्टी का भरोसा और विश्वास ही उनकी पूंजी है जिसे वो अंतिम सांस तक निभाते रहेंगे।
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