सत्ता और संगठन के बीच समन्वय नहीं होने से भाजपा में फूट रहे विद्रोह के स्वर
मप्र भाजपा और संगठन के बीच इस वक्त सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल संगठन के मुखिया को एक लंबा अरसा हो चुका है अपना पद संभालते हुए। इस दौरान जितने भी चुनाव हुए तो भाजपा लगातार चुनाव जीतती रही। साल 2023 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तब भी भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की। इस बीच केन्द्रीय नेतृत्व ने सरकार का मुखिया बदल कर डॉ. मोहन यादव को सीएम घोषित कर दिया। और प्रदेश संगठन में कोई बदलाव नहीं किया। और यहीं से कहानी शुरु हुई दोनों वर्गों के वर्चश्व की। संगठन मुखिया चाहते हैं कि सरकार के हर फैसले में उनका रायशुमारी हो लेकिन सीएम यादव हैं कि उन्हे जो भी फैसला लेना है वो बैधड़क करते हैं संगठन से किसी प्रकार की रायशुमारी करते। वहीं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद को वो अपने फेवर में लेकर चलते हैं। कोई भी बात होती है तो सीएम प्रदेश संगठन महामंत्री से चुपचाप रायशुमारी कर लेते हैं और अन्य किसी सलाह में वो प्रदेश अध्यक्ष को शामिल नहीं करते हैं। इन्ही सब बातों के चलते प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्री के रिस्तों में वो मिठास नहीं रही जो पहले रहा करती थी। अब संगठन को संचालित करने वालों में ही समन्वय ठीक नही रहा जिसके चलते सरकार में रहने वाले मंत्री और कुछ विधायक अब संगठन की ज्यादा परवाह नहीं करते और वो खुद की सरकार चला रहे हैं। क्योंकि उन्हे मालूम है कि संगठन उनका कुछ नहीं कर सकता है।
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