जिस देश में भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाए उस देश में अब होगी जातियों की गणना

भारत एक ऐसा देश रहा है जहां विभिन्न जाति और संप्रदाय के लोग युगों से निवास करते रहे हैं। और हर जाति का हमेशा सम्मान होता रहा है। और इसका जीता जागता प्रमाण सभी के आराध्य भगवान श्रीराम खुद हैं जिन्होने शबरी के जूठे बेर खाए और धोबी को गले लगाया,निशाद को मित्र बनाया और अब उसी देश में सियासत इस कदर परवान चढ़ी कि जातियों की जनगणना कराने का ऐलान कर दिया गया। चुनाव जीतने के लिए मोदी सरकार ने राहुल गांधी के आगे घुटने टेकते हुए जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान कर दिया। अभी तक यही भाजपा के नेता कहते थे कि राहुल गांधी देश को जातियों में बांटना चाहते हैं और देश के अंदर जाति का जहर बोकर लोगों को आपस में लड़ाना चाहते हैं। लेकिन हकीकत तो यही है कि सत्ता की लालसा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राहुल गांधी के आगे घुटने टेक दिया है। क्योंकि भाजपा को मालूम है कि अगर बिहार चुनाव नहीं जीते तो नितीश कुमार (पलटू राम) फिर अपनी औकात में आकर दूसरे पाले में चले जाएंगे ऐसी स्थिति में दिल्ली में भी सरकार का टिके रहना मुस्किल हो जाएगा लिहाजा भारतीय जनता पार्टी ने जाति आधारित जनगणना का ऐलान कर दिया। अब सलाल तो इस बात का उठता है कि राहुल गांधी की खुद की कोई जाति और है नहीं लिहाजा उनका सत्ता तक पहुंचने के लिए आखिरी दांव जाति आधारित जनगणना ही रहा है लेकिन जो भाजपा अभी तक जाति आधारित जनगणना का विरोध कर रही थी वही आज सत्ता की लोलुपता के चलते देश को जातियों में बांटने के लिए तैयार हो गई। आजादी से लेकर आज तक देश में जाति आधारित जनगणना नहीं कराई गई जातियों की बात हमेशा हुई,जनगणना कराने की बात भी होती रही लेकिन अभी तक यह मुद्दा सिर्फ भाषणों तक ही सीमित था लेकिन राहुल गांधी ने जिस प्रकार से इस मुद्दे को उठाया उससे यह तय हो गया कि राहुल गांधी के सामने भाजपा की सरकार ने हथियार डालते हुए जाति आधारित जनगणना का ऐलान कर दिया है। इस जनगणना का साफ मतलब यह भी है कि किसी भी तरह से सामान्य वर्ग के अस्तित्व को खत्म किया जाए। क्योंकि इतने आरक्षण और तरह-तरह की सुविधाओं के बाद भी सामान्य वर्ग अपना वर्चश्व कायम रखने में सफल था लिहाजा जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देकर केन्द्र की मोदी सरकार ने यह जाहिर कर दिया है कि कहीं न कही उसकी मंशा भी जाति आधारित जनगणना की थी जिसे अब लागू किया गया है। राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि वो आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से आगे लेकर जाएंगे। मतलब साफ है कि सामान्य वर्ग के अस्तित्व को खत्म करने की नींव रख दी गई है।
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