सीनियर नेताओं की गुटबाजी का शिकार हुआ यूथ कांग्रेस का चुनाव,डेढ़ महीने बाद भी नहीं हुई अध्यक्ष की घोषणा

मप्र कांग्रेस अजब के साथ गजब भी है। कांग्रेस पहले चुनाव कराती है और फिर चुनाव करा कर भूल जाती है कि उसने चुनाव कराया है। दरअसल करीब डेढ़ महीने पहले यूथ कांग्रेस के चुनाव कराए गए बड़ी उम्मीद से 18 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हे उम्मीद थी की लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाले राहुल गांधी खुद की पार्टी में लोकतंत्र की बहाली करेंगे लेकिन उन्हे ये नहीं मालूम था कि चुनाव तो यहां एक दिखावा है। जब तक वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी सामंजस्य नहीं बैठ जाएगा तब तक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष की घोषणा नहीं होगी। यूथ कांग्रेस की तरफ से 16 लाख से अधिक सदस्य बनाने का दावा भी किया गया था जिन्होने एक साथ छह पदों के लिए मतदान किया। चुनाव की प्रक्रिमा हुए करीब डेढ़ महीना हो चुके हैं। वोटिंग करने वाले और चुनाव लड़ने वाले दोनो ही भूल चुके हैं कि वो चुनाव लड़े थे। गौरतलब है कि विक्रांत भूरिया को पद से हटाने के बाद संगठन ने मितेन्द्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था और लगभग एक वर्ष बाद चुनाव घोषित कर दिए गए। 20 जून से 19 जुलाई तक सदस्यता अभियान चला। जो भी सदस्य बने उसने एक साथ छह पदों के लिए मतदान किया। पारदर्शिता के लिए पूरी प्रक्रिया आनलाइन रखी गई। अध्यक्ष पद के लिए जबलपुर जिले से कांग्रेस के एक मात्र विधायक लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया सहित 18 उम्मीदवारों ने दावेदारी की। प्रदेश महासचिव पद के लिए 182 लोगों ने दावेदारी की थी। सारी प्रक्रियाएं तो लोकतांत्रिक तरीके से हुई लेकिन उसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपना संविधान लागू करना शुरु कर दिया जिसका परिणाम ये निकला कि आज तक यूथ कांग्रेस के चुनाल का नतीजा नहीं निकल पाया और अब तो उम्मीदवार खुद को ठगा सा महसूस करने लगे हैं।
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