मप्र कांग्रेस में बड़ी टूट के संकेत,दर्जन भर विधायकों के भाजपा में संपर्क के बाद नए गुट हुए तैयार

Sep 18, 2025 - 08:00
Sep 18, 2025 - 20:04
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मप्र कांग्रेस में बड़ी टूट के संकेत,दर्जन भर विधायकों के भाजपा में संपर्क के बाद नए गुट हुए तैयार

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पार्टी में संगठन का सृजन करने में लगे हैं। मिशन 2028 की तैयारी के लिए पटवारी संगठन को मजबूत कर रहे हैं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के सृजन का रायता बिखरता जा रहा है। जिस पार्टी में बड़े नेताओं के गुट हुआ करते थे उसी पार्टी में अब छोटे-छोटे गुट पनप गए हैं। राहुल गांधी को उम्मीद थी की युवाओं के हाथ में कमान देने के बाद पार्टी में चल रही गुटबाजी खत्म हो जाएगी लेकिन यहां स्थिति ये है कि दो सियारों की लड़ाई में लोमड़ी फायदा उठाने का प्रयास कर रही है। अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि प्रदेश प्रभारी की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल जिस प्रकार से कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान चला और उसके तहत जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई तो उसके बाद लगातार विरोध की आवाजें उठने लगी। नेतृत्व कर्ताओं को लगा था कि दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर कोई सवाल नहीं उठाएगा लेकिन अध्यक्षों की घोषणा के बाद जब पता चला कि पर्यवेक्षकों ने स्थानीय नेताओं के दबाव में आकर रिपोर्ट तैयार की है और उसी के आधार पर जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई है तो संगठन सृजन अभियान के नाम पर जीतू पटवारी ने जिस रायते को समेटने का प्रयास किया था वही रायता और बिखर गया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि पटवारी के एकतरफा और तानाशाही फैसलों से नाराज होकर करीब दर्जन भर विधायकों ने अपनी करीबी बीजेपी से बढ़ा ली। और जिन नेताओं को भाजपा से भाव नहीं मिला वो नेता अब प्रदेश प्रभारी और जीतू पटवारी पर आरोपों की बौछार कर खुद को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस वर्किंइ कमेटी के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर जिस प्रकार से निशाना साधा उससे यह स्पष्ट हो गया है कि खलिहान में आग सुलग चुकी है। अभी धुंआ दिखाई पड़ा है समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो यही आग विकराल रुप लेकर कितनों को अपनी चपेट में लेगी। दरअसल कमलेश्वर पटेल भी हारे हुए नेता हैं और जीतू पटवारी भी हारे नेता हैं दोनों नेता पूर्व मंत्री रह चुके हैं और दोनो ही ओबीसी वर्ग से आते हैं। ऐसी स्थिति में एक हारे नेता को पुरस्कृत कर प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया दूसरे को वर्किंग कमेटी का सदस्य बना कर झुनझुना पकड़ा दिया गया जिससे विवाद सतह पर आने लगा। यहां पर विपक्ष में बैठी भाजपा को कुछ ज्यादा करने की थरुरत ही नहीं पड़ रही है। लिहाजा इन नेताओं की आपसी लड़ाई का फायदा हर हाल में भाजपा को मिल रहा है। हकीकत यह है कि हारे नेता जिन्हे बड़ी जिम्मेदारी मिली वो अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन जिस प्रकार से भाजपा का काम चल रहा है उससे कांग्रेस का अभियान कोसों दूर है। कांग्रेस के नेता जो भी आरोप लगाते हैं अथवा मुद्दे उठाते हैं उन सभी आरोपों का भाजपा नेता ऐसे काउंटर करते हैं कि कांग्रेस नेताओं की बोलती बंद हो जाती है। कांग्रेस के युवाओं की टीम के साथ वर्तमान भाजपा खेल-खेल रही है और कांग्रेस के नेता फुटबाल की तरह इधर से उधर लुढक रहे हैं। वो यही सोच कर खुश हो रहे हैं कि हमने जिला अध्यक्ष बना लिया अब कार्यकारिणी बना कर मतदाताओं का सत्यापन करेंगे और 2028 के जीत की नींव रख देंगे।

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