‘इटालियन घोड़ों’ की तलाश में जुटे 61 ऑब्जर्वर,हर जिलों और ब्लॉक में ढूंढे जा रहे अच्छी नस्ल के घोड़े

राजनीति करते तो इंसान हैं लेकिन उसमें जानवरों का जिक्र जरुर होता है। किसी समय पर टाइगर सियासत का केन्द्र हुआ करता था लेकिन तीन जून के बाद प्रदेश की सियासत में घोड़े ने टाइगर को पछाड़ कर अपना स्थान बना लिया है। दरअसल तीन जून को देश के एक बड़े नेता भोपाल दौरे पर आए जिसमें उन्होने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की तुलना घोड़ों से की। बात यहीं खत्म नहीं हुई उन्होने कहा कि देखने में आ रहा है कि हम रेस के घोड़े को बारात में और बारात के घोड़े को रेस में दौड़ा रहे हैं। ‘पप्पू’ की जुवान से निकले यह शब्द देश की राजनीति में खोड़े की इंट्री कराने के लिए काफी थे। उन्हे इस बात का ज्ञान नहीं था कि उन्होने अपने बयान में अपनी ही पार्टी के नेताओं को घोड़ा बोल दिया है। खैर ‘पप्पू’ के भाषणों से लोगों को और ज्यादा तो उम्मीद तो थी नहीं लेकिन जिस प्रकार से ‘पप्पू’ ने घेड़े का जिक्र किया तो विपक्षी दलों के लिए एक मौका जरुर मिल गया। बयान आते ही विपक्षी दल के नेताओं ने दोनों हाथों से इस बयान को भुनाना शुरु कर दिया। दरअसल एक बड़ी पार्टी ने प्रदेश में संगठन के ‘सृजन’ अभियान का आगाज किया है। इस सृजन के लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने 61 ऑब्जर्वरों को भी नियुक्त किया है जिनके साथ एमपी के तीन-तीन ऑब्जर्वर सभी जिलों में जाएंगे जहां पार्टी में ‘विभीषण और जयचंद’ का काम कर रहे नेताओं की पहचान करेंगे तो वहीं पार्टी में जो पूरी निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं उनकी रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। जो लोग निष्ठा से काम कर रहे हैं उन्हे पार्टी पद देकर भविष्य के संगठन का आधार मजबूत करेगी।
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