भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य रहे पदाधिकारियों को कहीं भूल तो नही गए अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल

विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया जाता है। इस टीम में मझे हुए कार्यकर्ताओं को प्रबंधन समिति में शामिल किया जाता है। चुनाव के दौरान सीएम हो अथवा प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य कोई भी पदाधिकारी चुनाव प्रबंधन समिति की नजर में सब आम कार्यकर्ता होते हैं। किस नेता की चुनाव में कहां ड्यूटी लगानी है और किस नेता का कहां पर प्रवास होना जरुरी है ये सारा काम चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य ही तय करते हैं। चुनाव प्रबंधन समिति द्वारा तय की गई जिम्मेदारी को कोई नेता मना नहीं कर सकता इसी लिए भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति को काफी सशक्त माना जाता है। पार्टी चुनाव जीतती है तो उसमें चुनाव प्रबंधन समिति का अप्रत्यक्ष रुप से काफी मजबूत योगदान रहता है। जिस प्रकार से विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली तो अब चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य ये मान कर चल रहे हैं कि उन्हे सम्मान स्वरुप प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल कर इनाम दिया जाएगा। लेकिन जिस प्रकार से भाजपा से प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर खबरें आ रही हैं उसमें चुनाव प्रबंधन समिति में शामिल किसी भी सदस्य का नाम नहीं लिया जा रहा है। चुनाव प्रबंधन समिति में हर प्रकार के कार्यकर्ताओं को मिला कर कुल 40 के आसपास सदस्य बनाए गए थे। जो अपनी सटीक कार्यशैली से नेताओं का प्रवास तय करते थे। पर्दे के पीछे रह कर जीत की रणनीति बनाने वाले चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य यह मान कर चल रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी योगदान पर जरुर नजर डालेंगे। लेकिन कुछ सदस्यों का यह भी मानना है कि उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वीडी शर्मा हुआ करते थे जो अब सिर्फ सांसद हैं। लिहाजा चुनाव प्रबंधन समिति में सदस्य रहे किस पदाधिकारी ने कैसा काम किया उसके काम का सहीं आंकलन वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कैसे करेंगे। क्योंकि उस वक्त वो महज एक विधायक थे। इसी लिए चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य अब यह सोचने के लिए मजबूर हैं कि कहीं वो हेमंत खंडेलवाल की योजना से बाहर तो नहीं हैं। चुनाव प्रबंधन समिति के अलावा कुछ नेताओं ने भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग कमेटी में रह कर भी विपक्ष की योजनाओं को ध्वस्त करने में काफी महत्वपूर्ण रणनीति अपनाई जिसके परिणाम स्वरुप ऐन चुनाव के मौके पर कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता भाजपा में समाहित हो गए जिससे कांग्रेस उबर ही नहीं पाई और फिर विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब इंतजार उस दिन का है जब प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होगी तो क्या चुनाव प्रबंधन समिति में सदस्य रहे कुछ नेताओं को कार्यकारिणी में शामिल किया जाएगा कथवा उनके हाथ खाली ही रहेंगे।
What's Your Reaction?






