सरकार में नहीं होगा किसी मंत्री का इस्तीफा,माहौल बना कर हो रही दबाव की राजनीति

पिछले कुछ दिनों से एमपी की राजनीति अफवाहों के चलते राजनीतिक अस्तिरता के दौर से गुजर रही है जबकि हकीकत इससे कोशों दूर है। हाल ही में सीएम हाउस में हुई छोटी टोली की बैठक के बाद कयासों का दौर और तेज हो गया लेकिन सभी राजनीतिक अस्थिरता सिर्फ कयासों तक ही सीमित है। जबकि बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक भी यही मान कर चल रहे हैं कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने केन्द्रीय नेतृत्व के सामने इस्तीफे की पेसकश कर कोई दूसरा दायित्व देने की मांग की है। अब सवाल इस बात का उठता है कि कैलाश विजयवर्गीय इस्तीफा क्यों देंगे। जिस मंत्री के पास लोक निर्माण विभाग जैसा मलाईदार विभाग हो वो मंत्री इस्तीफा क्यों देगा। दूसरी बात ये भी है कि सीएम बनने की उनकी कोई संभावना है नहीं क्योंकि प्रदेश में ओबीसी की राजनीति पूरे शबाब पर है। लिहाजा कैलाश विजयवर्गीय ही नहीं कोई भी सामान्य वर्ग का नेता सीएम नहीं बनेगा। जिन प्रभावशाली नेताओं का नाम सीएम पद की दावेदारी में आ रहा है उनमें राजेन्द्र शुक्ल,प्रहलाद पटेल,राकेश सिंह और कैलाश विजयवर्गीय ही हैं लेकिन इन नामों में कोई भी केन्द्रीय नेतृत्व की उम्मीदों पर फिट नहीं बैठता है। लिहाजा डॉ. मोहन यादव अपने पद पर सुरक्षित हैं आने वाले लंबे समय तक उनको कोई भी पद से हटाने वाला नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश में अफवाहों का बाजार गर्म कर सियासी माहौल खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। रही नेताओं के दिल्ली दौरे की बात तो भाजपा जल्द ही प्रदेश कार्यकारिणी और निगम-मंडलों की नियुक्ति करने की ओर तेजी से बढ़ रही है जिसको प्रदेश में अलग-अलग तरीके से प्रचारित कर उसका विश्लेषण किया जा रहा है। पहले प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल का दिल्ली दौरा हुआ उसी दौरान सीएम मोहन यादव भी दिल्ली गए अब नवरात्रि प्रारंभ के पहले दिन ही सीएम मोहन यादव दिल्ली दौरे पर जा रहे हैं क्योंकि सरकार निगम-मंडलों की नियुक्ति भी जल्द ही करने की योजना बना रही है इसी लिए बड़े नेता दिल्ली दरवार में हाजिरी लगा रहे हैं ताकि आपसी सामंजस्य से निगम मंडलों की नियुक्ति हो सके। Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार सरकार और संगठन ने मिल कर निगम-मंडल की लिष्ट तैयार हो चुकी है उसमें अंतिम मुहर लगना बांकी है जिसके लिए नेता दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं।
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