'गाड़ी बंगले' की चाहत भाजपा का बिगाड़ रही खेल,भोपाल से दिल्ली तक बीजेपी नेताओं ने लगाई उठक-बैठक

Sep 24, 2025 - 08:01
Sep 24, 2025 - 19:14
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'गाड़ी बंगले' की चाहत भाजपा का बिगाड़ रही खेल,भोपाल से दिल्ली तक बीजेपी नेताओं ने लगाई उठक-बैठक

भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुका है ठीक उसी प्रकार दुनिया भर की समस्याएं भी भाजपा में एक साथ देखने को मिल रही हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से लाखों की संख्या में कार्यकर्ताओं को भी भाजपा में समाहित कर दिया गया लेकिन अब उन्हे अर्जेस्ट करने की समस्या भाजपा के सामने खड़ी हो गई है। पिछले एक महीने से मप्र भाजपा में प्रदेश कार्यकारिणी बनाने का काम चल रहा है। लेकिन वरिष्ठ नेताओं के हित बार-बार टकरा रहे हैं। बड़े नेता अपने समर्थकों को कार्यकारिणी में शामिल करने का दबाव बना रहे हैं। तो दूसरी तरफ कांग्रेस से आए कार्यकर्ता भी कह रहे हैं कि अब वो भी सक्रिय सदस्य हो चुके हैं। संगठन की हर परीक्षा को वो पास करके यहां तक पहुंचे हैं लिहाजा अब उनका भी पार्टी में उतना ही अधिकार है जितना मूल भाजपाइयों का है। इन्ही सब समस्याओं से जूझ रही भाजपा में प्रदेश कार्यकारिणी जारी करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। नेताओं के साथ उन्हे समन्वय बनाना पड़ रहा है। लेकिन जिस प्रकार से वरिष्ठ नेता हेमंत खंडेलवाल के सामने चुनौती बन कर खड़े हो गए हैं उससे खंडेलवाल की समस्या और बढ़ गई है। मंगलवार को पूर्व सीएम शिवराज का प्रदेश कार्यालय में पहुंचना और खंडेलवाल से बंद कमरे में करीब 20 मिनट तक बात करना यह दर्शाता है कि बात गंभीर है। बात यहीं नहीं रुकी इस बैठक के बाद सीएम डा. मोहन यादव और शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में फिर बैठक की जिसके बाद राजनीति और शबाब पर आ गई। दरअसल यहां पर बात सिर्फ कार्यकारिणी की नहीं बल्कि निगम-मंडल के नियुक्तियों की भी है। प्रदेश नेतृत्व कोशिश कर रहा है कि एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला बना कर ज्यादा से ज्यादा नेताओं को संतुष्ट किया जाए लिहाजा जो बड़ा नेता प्रदेश कार्यकारिणी से छूटे तो उसको निगम-मंडल में अर्जेस्ट किया जाए। ऐसी स्थिति में चुनाव हार चुके कई नेता अपने पुनर्वास को लेकर परेशान हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश नेतृत्व के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। किस नेता को कार्यकारिणी में ले और किसको निगम-मंडल में डालें। Mukhbir  को मिली सूचना के अनुसार चुनाव हार चुके नेता संगठन के बजाय निगम-मंडल में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं जिससे उन्हे गाड़ी और बंगला मिल सके और वो मंत्री के गर्व को धारण कर सकें। और नेताओं की यही कामना भाजपा संगठन और सरकार के लिए समस्या का सबब बन रही है।

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