कलेक्टर-कमिश्नरों को सीएम ने लगाई फटकार,कहा जो भी काम होगा मेरी 'अनुशंसा' से ही होगा

भोपाल के कुशाभाऊ कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों की जमकर क्लाश लगाई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से खुले तौर पर कहा कि विकास के काम रुकने नहीं चाहिए और जो भी काम हों उनकी अनुशंसा के बाद ही होने चाहिए। इस दौरान सीएम मोहन यादव ने अन्य कई आदेश भी जारी किया और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जनता का विश्वास हमारी सबसे बड़ी पूंजी है, हमें यह विश्वास बनाए रखना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी लोक सेवकों से प्रदेश के समग्र और समावेशी विकास के लिए प्राण-प्रण से कार्य करने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शासन की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश के सर्वांगीण विकास और जनता के कल्याण के लिए शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को एकजुट होकर मिशन मोड में कार्य करना होगा। हमने प्रदेश में जवाबदेह शासन व्यवस्था स्थापित की है। लोक सेवकों का यह दायित्व है कि वो अपनी प्रतिभा, लगन, क्षमता और समर्पण के साथ जनता तक योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुंचाएं।मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि हम सब देश और समाज के विकास का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शासन का अंतिम उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और कल्याण की किरण पहुंचाना है। सरकार सबके साथ, सबके लिए खड़ी है। जनता में यह विश्वास पैदा करना ही सुशासन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। प्रदेश में जनता का विश्वास हमें मिल रहा है। यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है और हमें यह जनविश्वास हर हाल में बनाए रखना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में इसी बात पर मंथन किया जाएगा कि शासन व्यवस्था को और अधिक सहज, सरल, बेहतर, पारदर्शी और विकेंद्रीकृत कैसे बनाया जाए,ताकि योजनाओं का लाभ और अधिक शीघ्रता से जनता तक पहुंच सके। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में तैनात अधिकारी अपने काम और नवाचार से अपनी पहचान कायम करें। किसी भी ज्वलंत विषय पर पूरी दक्षता और तथ्यों के साथ अपनी बात रखें....स्थानीय जनता, मीडिया, जनप्रतिनिधियों और शासन, प्रशासन से निरंतर आत्मीय संवाद बनाए रखें। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि परमात्मा ने यदि हमें समाज के लिए काम करने का दायित्व दिया है तो हमें एक विनम्र विद्यार्थी की तरह इस दायित्व का निर्वहन करना ही चाहिए। हर दिन, हर तरीके से नई चीजें सीखें और अपनी दक्षता और अनुभव से उनका बेहतर क्रियान्वयन करें, लक्ष्य यह रखें कि नवाचार का समाज को अधिकतम लाभ मिले।
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