पर्दे के पीछे से कौन चला रहा भाजपा,कहीं खंडेलवाल मुखौटा बन कर तो नहीं रह गए

वर्तमान भाजपा अध्यक्ष काफी सुलझे होने के साथ धीर-गंभीर भी हैं लेकिन जिस प्रकार से भाजपा में फैसले हो रहे हैं उससे यह लगने लगा है कि भाजपा को पर्दे के पीछे से कोई और ही संचालित कर रहा है। बाहर से दिखने में तो सबकुछ ठीक लग रहा है लेकिन अंदर खाने की बात करें तो सब ठीक नहीं लगता है। पिछले एक महीने से भाजपा के पदाधिकारी शिथिल से पड़ते जा रहे हैं। जिलों की कार्यकारिणी जारी होने लगी है जिससे जिला स्तर के पदाधिकारियों में ढाढ़स बंध गया है। लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी भाजपा के गले की फांस बनती जा रही है। अध्यक्ष जो सोचते हैं उसके बाद उनकी सोच को बदल दिया जाता है। कभी नदी का घर अपने प्रवाह में सारे फैसलों को बहा कर ले जाता है तो कही B-15 अड़चने डाल देता है। ऐसी स्थिति में धीर,वीर और गंभीर प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की नेतृत्व क्षमता पर पार्टी के कार्यकर्ता सक करने लगते हैं। क्योंकि जो बाते छन कर बाहर आती हैं उसके आधार पर पार्टी इस बार काफी नलाचार करने की योजना तैयार कर रही है। एक व्यक्ति एक पद का जो फॉर्मूला तैयार हुआ है उसमें अड़चने ही अड़चने सामने आ रही हैं। हर नेता संगठन को अपने तरीके से चलाने की कोशिश कर रहा है। पार्टी की तरफ से कोई भी सुविधा न लेने वाले प्रदेश अध्यक्ष जिस प्रकार से पार्टी की परिकल्पना कर रहे हैं उसमें कई नेता बाधा बन कर खड़े हो गए हैं। पूर्व अध्यक्ष वीडी शर्मा सुनते सबकी थे लेकिन करते अपने मन की थे इसी लिए वो कई वरिष्ठ नेताओं के आंखो की किरकिरी बन गए थे। लेकिन वर्तमान अध्यक्ष सबकी सुनने के बाद खुद फैसला नहीं ले पा रहे हैं। क्योंकि वो सबको लेकर चलने पर विश्वास रखते हैं लिहाजा वो करना तो बहुत चाहते हैं लेकिन उनके साथ सोने की अदृष्य जंजीरों से जैसे बांध दिए गए हों। प्रदेश कार्यालय आते हैं तो कार्यकर्ताओं की अपेक्षा से भरी भीड़ के बोझ तले दबे रहते हैं। निवास जाते हैं तो वहां भी कार्यकर्ता पहुंच जाते हैं इन सब बातों से परेशान होकर कई बार वो होटल में रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं। वैसे भी प्रोफेसर कॉलोनी स्थित प्रदेश अध्यक्ष का जो निजी आवास है वो अब कार्यकर्ताओं की बढ़ती भीड़ का बोझ सहने के लिए काफी नहीं है लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष अब दूसरा आसियाना भी तलाश रहे हैं जहां पर कार्यकर्ताओं की भीड़ को समाहित करने के साथ गुप्त मीटिंगो के लिए पर्याप्त स्थान हो। राज्य सरकार की तरफ से प्रदेश की जनता का हैप्पीनेस सर्वे कराया जा रहा है। ठीक उसी प्रकार Mukhbirmp.com की टीम ने भाजपा पदाधिकारियों का हैप्पीनेस सर्वे किया तो तस्वीर कुछ और ही निकल कर सामने आई। करीब 20 दिन में भाजपा के 500 से अधिक पदाधिकारियों से संपर्क करने पर यही निष्कर्श निकल कर सामने आया कि पदाधिकारी यह तो मानते हैं कि अध्यक्ष की सोच अच्छी है लेकिन वो खुद फैसले लेने में कहीं न कहीं संकोच महसूस कर रहे हैं जिसके कारण कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं कि अंत में जब प्रदेश कार्यकारिणी और फिर निगम-मंडलों की सूची जारी होगी तो सभी के साथ अध्यक्ष न्याय कर पाएंगे अथवा पर्दे के पीछे से भाजपा को चलाने वालों का ही फैसला मान्य किया जाएगा जो उनके लिए मजबूरी होगा।
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