बीजेपी का नया पावर सेंटर बना ‘नदी का घर’ वहीं से हो रहे फैसले,नेता लगा रहे बार-बार चक्कर

मप्र भाजपा में अभी तक सीएम,अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्री का ही जलवा देखने को मिला करता था। लेकिन पिछले कुछ समय से मप्र भाजपा की तस्वीर बदल गई है। क्योंकि अब भाजपा का नया पावर सेंटर प्रदेश कार्यालय के करीब ही नदी का घर बन चुका है। प्रदेश कार्यालय तो अब महज एक दिखावा बन कर रह गया है सारे फैसले नदी का घर से हो रहे हैं। प्रदेश कार्यालय में औपचारिकता पूरी करने के लिए बैठकें हो रही हैं कार्यकर्ताओं को दिखाने का प्रयास हो रहा है कि सबकुछ ठीक है और कार्यकारिणी के साथ निगम-मंडल की नियुक्तियों पर मंथन चल रहा है लेकिन हकीकत इससे कोशों दूर है। हांलाकि यह पहला मौका नहीं है जब नदी का घर चर्चाओं में है। कुछ साल पहले भी नदी का घर पावर सेंटर हुआ करता था उस समय भी नदी का घर से ही सारे फैसले हुआ करते थे अब एक बार फिर वही नदी का घर चर्चाओं में है। इस नदी में सारे सियासी तालाब समा रहे हैं। अगर तालाबों को अपनी लहर की दिशा तयं करनी है तो नदी से पूछना पड़ता है कि लहरों की दिशा किधर करनी है। पिछले तीन दिन में नदी के घर में कई नेताओं ने दस्तक दी है। एक-एक करके कई नेताओं को बुलाया गया और उनसे पूछा गया है कि आप क्या करना चाहते हैं आप कौन सा पद चाहते हैं। मतलब साफ है कि नदी का घर से ही रायशुमारी कर नेताओं के मिजाज को समझने का प्रयास किया जा रहा है। नदी का घर में ही नेताओं को यह भी बता दिया जाता है कि आपकी अगली भूमिका क्या होने वाली है। उस नदी का कौन का उद्गम स्थल कहां है और उससे निकलने वाली लहरें कहां जाने वाली हैं इसका जवाब सिर्फ उन्ही लहरों के पास है जो उस नदी से होकर गुजर रही हैं। कुछ नेता गुपचुप तरीके से नदी में नहाने गए और फिर वहां से मायूस होकर निकले जिसके बाद यह समझ में आया कि नदी में जाने के बाद भी उनकी प्यास नहीं बुझी है क्योंकि नदी का पानी समय-समय पर खारा हो जाता है। चेहरों को देख कर ही उस नदी का पानी अपना टेस्ट बदलता है। अब दिलचस्प बात यह है कि कार्यकारिणी जारी होने तक किसके मुंह में खारे पानी का स्वाद आता है तो किसके मुंह में मीठे पानी का स्वाद लगता है।
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