BA और MA पास आदिवासी लड़कियां टाइगर रिजर्व में ड्राइविंग करती हैं यही है एमपी का विकास

शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस था और भोपाल के समन्वय भवन में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से तात्र छात्राओं को बुलाया गया क्योंकि उनसे सीएम यादव को संवाद करना था। हुआ भी वही। सीएम ने कई छात्र छात्राओं से संवाद किया इस बीच एक अधिकारी खड़े हुए और उन्होने कहा कि अब टूरिस्ट प्लेसों में महिलाओं और युवतियों को भी रोजगार दिया जा रहा है। उन्होने कहा कि ऐसे रोजगार पाने वाली दो युवतियों को वो लेकर भी आए थे। मजे की बात यह रही कि सीएम ने दोनों युवतियों को संवाद के लिए मंच पर बुला लिया। सीएम यादव ने दोनों से पूछा कि आप टाइगर रिजर्व में क्या काम करती हैं तो उन्होने कहा कि टाइगर सफारी में चलने वाली जिप्सियों को वो चलाती हैं। दोनों ने आदिवासी वर्ग से आती थीं जब सीएम ने उनकी शिक्षा के बारे में पूछा तो एक ने बताया कि वो बीए पास है दूसरी युवती ने बताया कि वो एमए पास है। सीएम ने पूछा कि आप कितना कमा लेती हैं तो दोनों युवतियों ने बताया कि उन्हे 14-14 हजार रुपये महीना मिलता है। सीएम साहब बड़े खुश हुए लेकिन उन्होने यह ध्यान नहीं दिया अथवा ध्यान देकर भी अनदेखा किया कि दोनों युवतियां आदिवासी वर्ग से हैं और शिक्षित हैं उसके बाद भी उन्हे अपना परिवार चलाने के लिए ड्राइविंग करनी पड़ रही है। जबकि प्रदेश में बैकलॉग के खाली पदों की संख्या लगभग 1.40 लाख है, जिनमें से अधिकांश पद शिक्षा विभाग में हैं। ये पद मुख्य रूप से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित हैं, और पिछले भर्ती प्रयासों में योग्य उम्मीदवारों की कमी के कारण खाली रह गए हैं। जब भी अदृष्य रुप से भर्ती होती है तो कहा जाता है कि योग्य लोगों के न मिलने से पद खाली हैं और जो योग्य हैं वो टाइगर सफारी जैसी जगह में ड्राइविंग करने के लिए मजबूर हैं।
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