सामान्य वर्ग की शासकीय नौकरी में बढ़ेंगी मुस्किलें,सीधी भर्ती के पदों में 27% रहेगा ओबीसी आरक्षण

सामान्य वर्ग के युवाओं का भविष्य खतरे में है। जिस प्रकार से आरक्षण की राजनीति अपने शबाब पर चल रही है उससे यह स्पस्ट है कि वोट बैंक की राजनीति में सरकार सामान्य वर्ग को भूल कर ओबीसी,एससी और एसटी की ओर फोकस कर रही है। मामले को न्यायालय में भी चुनौती दी गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। मध्य प्रदेश में ओबीसी को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इसके लिए विभागों के सेवा भर्ती नियमों में संशोधन करके इसका प्राविधान किया जा रहा है। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत आने मध्य प्रदेश फर्म्स एवं संस्थाओं की भर्ती नियम 1998 में सीधी भर्ती के पदों में 27 प्रतिशत ओबीसी के लिए रहेंगे। वहीं एससी वर्ग के लिए 16,एसटी के लिए 20 और राज्य के आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए दस फीसदी पद रखे जाएंगे। प्रदेश में ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता था। सरकार ने मार्च 2019 में इसे बढ़ा कर 27 प्रतिशत कर दिया था। इसकी वैधानिकता को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई। कुछ विभागों के पदों पर बढ़े हुए आरक्षण के हिसाब से भर्ती परीक्षाएं हुई लेकिन परिणाम पर रोक लगा दी गई। नियुक्ति नहीं होने से बन रही परिस्थिति को देखते हुए महाधिवक्ता के अभिमत पर सितंबर 2021 में 83.13 का फार्मूला लागू कर दिया था यानि बढ़े हुए आरक्षण के पदों को रोक कर शेष के परिणाम जारी कर नियुक्तियां कर दी गई। इसे भी हाई कोर्ट जबलपुर में चुनौती दी गई, जिस पर हाई कोर्ट ने अगस्त 2023 में रोक लगा दी थी। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को निरस्त कर दिया। अब विभिन्न विभागों द्वारा सेवा भर्ती नियमों में संशोधन करके ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत पद आरक्षित करने का प्राविधान किया जा रहा है। एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षण प्राविधान अनुसार ही रहेगा। महिलाओं को आरक्षण के भीतर 35 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
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