मिठास में बढ़ती गड़वाहट के चलते संगठन की राह पकड़ने की कोशिश में जुटे डिप्टी सीएम

कहतें हैं रिस्तों में जितनी मिठास होती है कड़वाहट उससे कहीं ज्यादा होती है। तस्वीर खुद बयां करती है। जिस प्रकार दोनों नेता एक दूसरे को मिठाई खिलाते नजर आ रहे हैं वो इस बात का प्रतीक है कि मिठास सिर्फ जनता की नजरों में है। यह मिठास जुवान तक भी हो सकती है लेकिन दिल को सुकून देने वाली मिठान नहीं है। दरअसल जिस प्रकार से राजेन्द्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बनाया गया था उसमें वो खरे नहीं उतरे। यहीं नहीं खुद को सीनियर समझने वाले डिप्टी सीएम कहीं न कहीं इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनका कद सीएम से कम नहीं फिर भी सीएम के आगे नहीं बल्कि पीछे ही चलना पड़ता है। यही कारण है कि डिप्टी सीएम ने अपना खुद का पावर हाउस तैयार करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को ज्यादा मजबूत समझा और वो भी अध्यक्ष की रेस में शामिल हो गए। यहां तक कि राजेन्द्र शुक्ला दिल्ली तक अपनी मंशा जाहिर कर आए। दरअसल जिस प्रकार से विंध्य में भाजपा जीती उससे राजेन्द्र शुक्ला काफी खुश थे। विधानसभा चुनाव के दौरान जिस प्रकार से पीएम मोदी ने राजेन्द्र शुक्ला को महत्व दिया था उससे यह भी लगा था कि राजेन्द्र शुक्ला को पार्टी में काफी महत्व मिलने वाला है। महत्व तो मिला लेकिन वो सिर्फ डिप्टी सीएम तक ही सीमित होकर रह गया। वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव में सियासत के मझे खिलाड़ी निकले उनके जितने भी सीनियर थे सभी को धीरे-धीरे साइडलाइन कर दिया। पद तो सभी के पास है लेकिन कहने के लिए है। अधिकार सारे सीएम के पास हैं जिसके चलते सारे नेता नाराज रहते हैं लेकिन करें भी तो क्या चाह कर भी कुछ कर नहीं पाते हैं।
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