दिल्ली से लेकर भोपाल तक 'दबाव' में भाजपा के नेता,बड़े फैसले लेने में कर रहे संकोच

भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में सबसे ताकतवार पार्टी है। मोदी और अमित शाह जो फैसला कर लें उसके आगे किसी की एक नहीं चलती। दोनों नेताओं के एकतरफा फैसले से भाजपा को कई बार फायदा हुआ है तो वहीं बड़ा नुकसान भी हुआ है। उदाहरण के तौर पर लोकसभा चुनाव में इन दोनों नेताओं ने किसी नेता की नहीं सुनी और अपने हिसाब से ही पार्टी में टिकट वितरण किया जिसका नतीजा ये रहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हे आइना दिखाते हुए यह बता दिया कि हमासे ऊपर आप नहीं हो आखिरी फैसला हम ही करेंगे। अब एक बार फिर मोदी और शाह अपनी चला कर उत्तर प्रदेश में अपने हिसाब से अध्यक्ष चुनना चाहते हैं। लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हे इस बार दो टूक शब्दों में चेता दिया है कि लोकसभा चुनाव में आपने अपनी चलाई और परिणाम स्वरुप 302 से 240 पर आ गए और बैसाखी के बल पर सरकार को चलाना पड़ रहा है। लिहाजा आदित्यनाथ ने स्पष्ट शब्दों में कह दिमा है कि अध्यक्ष उनके हिसाब से होगा अन्यथा परिणाम के लिए आप खुद उत्तरदायी होंगे। इसी प्रकार ये दोनों नेता एमपी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी फैसला करना चाहते हैं लेकिन कई बड़े नेताओं के बगावती तेवर को देख कर अब दोनों नेताओं की हिम्मत नहीं पड़ रही है। यही कारण है कि अध्यक्ष जैसे मुद्दे पर भाजपा में एकराय नहीं बन पा रही है। भाजपा आमतौर पर सांसद अथवा विधायक को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है लेकिन इस बार कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए हैं इसलिए वो अपने राजनीतिक पुनर्वास के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनने की जुगाड़ में लगे हैं। इन सब टेंशनों के बीच केन्द्रीय नेतृत्व तनाव की स्थिति में है और कोई फैसला लेने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।
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