भाजपा में अब दिखेगा 'हेमंत' ऋतु का असर,हर मोर्चे और प्रकोष्ठों के परफॉर्मेंस की होगी बात

मध्य प्रदेश भाजपा में अब कसावट का दौर शुरु होने जा रहा है। पिछले कई महीनो से निष्क्रिय पड़े मोर्चा और प्रकोष्ठों के कामों की समीक्षा का दौर शुरू होगा। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी में जब से संगठन आत्मक चुनाव का आगाज हुआ तभी से सातों मोर्चे और 17 प्रकोष्ठ निष्क्रियता की ओर चले गए थे। सभी मोर्चा और प्रकोष्ठ इस बात का इंतजार कर रहे थे कि अगला अध्यक्ष कौन होगा जिसके कारण वह काम नहीं कर रहे थे। यहां तक की स्थिति ऐसी बन गई थी की मौसम में कई बार कार्यायलयों के दरवाजे तक नहीं खुलती थे। अब मोर्चा और प्रकोष्ठों की यही निष्क्रियता उन पर भारी पड़ सकती है। दरअसल भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष अब एक्शन में आ चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी विदेश के साथ देवासी डर से स्वदेश लौट चुके हैं। अब इन दोनों नेताओं की जुगल जोड़ी मोर्चों और प्रकोष्ठों के कार्यों का रिव्यू करने जा रही है। शुरुआत सबसे पहले भाजपा युवा मोर्चा से होगी क्योंकि ये वह मोर्चा है जिस पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष की कुछ ज्यादा ही कृपा हुआ करती थी। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार के कार्यकाल को देखें तो किसी भी प्रकार की उनकी कोई उपलब्धि नहीं दिखती है। इसके बाद अनुसूचित जाति और किसान मोर्चे की बारी आएगी यह मोर्चे भी निष्क्रिय पड़े हैं। महिला मोर्चा भी इन्हीं निष्कृय मोर्चों की श्रेणी में आता है क्योंकि इसकी अध्यक्ष राज्यसभा सांसद हो चुकी हैं और अब किसी भी प्रकार की गतिविधि यहां पर संचालित नहीं हो रही है। सबसे पहले भाजपा के अध्यक्ष इन मोर्चों और प्रकोष्ठों के साथ बैठक करेंगे फिर इनके अध्यक्षों से इनकी वर्क रिपोर्ट मांगेंगे। मतलब साफ है कि अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एक्शन में आ चुके हैं और अब काम करने वाले कार्यकर्ताओं को ही मोचन में और प्रदेश की कार्यकारिणी में स्थान मिलेगा।
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