भाजपा के अध्यक्ष बदले विधायकों के तेवर नहीं,अब भी सरकार को परायों से ज्यादा अपनों से खतरा

मप्र भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष बदल चुके हैं लेकिन चुनौतियां वही की वही हैं। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को संतुष्ट करना हेमंत खंडेलवाल के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। विधानसभा सत्र प्रारंभ होते ही पहले दिन भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने विधानसभा में एक कक्ष में भाजपा विधायकों को समूह में बुला कर वन टू वन चर्चा की थी और सभी से सरकार के पक्ष में सहयोग करने का आग्रह किया था। लेकिन हेमंत खंडेलवाल के वन टू वन चर्चा में पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक शामिल नहीं हुए थे जिसमें वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव,भूपेन्द्र सिंह जैसे नेता शामिल हैं जिन्होने प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात नहीं की थी। जाहिर सी बात है कि पार्टी की तरफ से धीरे-धीरे साइडलाइन किए जा रहे इन नेताओं के मन में अपने भविष्य को लेकर एक टीस है जो कभी सदन में निकल रही है तो कभी सदन से बाहर अपने क्षेत्र में निकल रही है। कुछ ऐसा ही वाक्या मंगलवार को विधानसभा में देखने को मिला जब सदन के अंदर भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव ने अपनी ही सरकार को सार्वजनिक रुप से सुझाव देकर सरकार के कान खड़े करने का प्रयास किया। विपक्ष को तो चुटकी लेने का मौका चाहिए था लेकिन सत्ता पक्ष के नेता एक दूसरे का मुंह ही ताकते नजर आए। क्योंकि गोपाल भार्गव भाजपा के उन नेताओं में हैं जिनसे सीनियर वर्तमान भाजपा में फिलहाल कोई नेता नहीं है। गोपाल भार्गव ने सदन में अपनी ही सरकार को घेराते हुए कहा कि मैं अपनी सरकार को सुझाव देना चाहता हूं। उन्होने 15 विभागों का नाम लेते हुए कहा कि इन विभागों में आपसी समन्वय नहीं है।वैज्ञानिक आधार पर मैपिंग होना चाहिए। साथ ही उन्होने जल संवर्धन अभियान को लेकर भी कहा कि अभियान के लिए विभागों में समन्वय जरूरी है जल का दोहन होता हमें और अधिक कार्य करने की जरूरत है। जल का अंदर से दोहन नहीं करना चाहिए सरप्लस जल का उपयोग किया जाए जल स्तर गिरता जा रहा। मैं मंत्री था, तब जल यात्रा निकलने से काफी काम हुआ। अगला युद्ध जल पर होगा अवैध उत्खनन से जल स्तर पर असर पड़ता है। जल के संरक्षण के लिए बेहतर काम करने की जरूर है। गोपाल भार्गव द्वारा कही गई बातों को सदन में सभी नेता सुनते रहे लेकिन किसी में प्रतिक्रिया देने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि वो पार्टी के बड़े नेता हैं और जो मुद्दा उठा रहे हैं वो गंभीर है। लेकिन भार्गव द्वारा उठाए गए सवाल से सरकार को एक बार फिर असहजता का अहसास हुआ। देर रात भाजपा विधायक दल की बैठक में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया गया कि सभी विधायकों को एकजुट होकर विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब देना है। अब जिम्मेदारी भाजपा के नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की है। जिनको विधायकों को नियंत्रण में रखना है। सबसे ज्यादा बुंदेलखंड से बागी आवाजें उठ रही हैं जिन पर नियंत्रण करना प्रदेश अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती है।
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