भोपाल भाजपा की कार्यकारिणी अब तक घोषित करने में नाकाम रहा प्रदेश नेतृत्व,अंतर्कलह बना बड़ा कारण

Oct 6, 2025 - 10:08
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भोपाल भाजपा की कार्यकारिणी अब तक घोषित करने में नाकाम रहा प्रदेश नेतृत्व,अंतर्कलह बना बड़ा कारण

मप्र भाजपा में प्रदेश कार्यकारिणी घोषित करने की बात हो रही है लेकिन अब तक जिलों की कार्यकारिणी घोषित करने में प्रदेश नेतृत्व सफल नहीं हो पाया है। जिस प्रकार से जिलों की कार्यकारिणी जारी करने का दौर शुरु हुआ था उससे लगा था कि एकात हफ्ते के अंदर सभी जिलों की कार्यकारिणी घोषित हो जाएगी। लेकिन बाद में पता चला कि यहां पर एक अनार सौ बीमार जैसी कहानी चरितार्थ हो रही है। जिन जिलों में कोई विवाद नहीं था उन जिलों की भाजपा ने धड़ाधड़ कार्यकारिणी घोषित कर दी उसके बाद जिन जिलों में विवाद की स्थिति बन रही थी उनका सिलसिला भी शुरु हुआ। नेताओं को बैठा कर आपसी सामंजस्य बनाने का सिलसिला शुरु किया गया जिसके कारण कई विवादित जिलों की भी कार्यकारिणी जारी की गई। उसके बाद भी अब तक प्रदेश नेतृत्व की तरफ से करीब 20 जिलों की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई है। जिस प्रकार से जिलों की कार्यकारिणी घोषित करने में अड़चने आ रही हैं उससे यह स्पष्ट है कि सभी जिलों की कार्यकारिणी घोषित करने में भाजपा को अभी महीने भर का वक्त और लगने वाला है। खास कर जिस प्रकार से भोपाल जिले की कार्यकारिणी को लेकर सिर फुटौव्वल की स्थिति बनी हुई है उससे प्रदेश नेतृत्व काफी परेशान है। कई बैठकें हो चुकी,नेताओं को अकेले-अकेले बुला कर बातें हुईं उसके बाद भी वरिष्ठ नेता आपसी सामंजस्य बैठाने में अब तक नाकाम रहे। दरअसल भोपाल से दो मंत्री आते हैं विश्वास सारंग और कृष्णा गौर जो अपने समर्थकों को शामिल कराने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। वहीं रामेश्वर शर्मा जैसे कद्दावर विधायक और भगवानदास सबनानी जैसे मझे हुए संगठनकार अपने समर्थकों की कार्यकारिणी में इंट्री कराना चाहते हैं। जिसके कारण अब तक भोपाल जिले को लेकर सामंजस्य नहीं बन पा रहा है। हाल ही में नदी का घर में हर नेता की गुप्त रुप से बैठक हुई। जिसमें सभी नेताओं से सामंजस्य बैठाने के लिए कहा गया। बंद कमरे में तो सभी नेताओं ने हां कर दी लेकिन कमरे से बाहर आते ही नेताओं के एक के बाद एक करके शुर बदलते गए जिसके कारण बात और बिगड़ गई। इन सभी नेताओं के बीच जिला अध्यक्ष रविन्द्र यति ने खुद भी लिष्ट दे रखी है क्योंकि नई कार्यकारिणी के साथ उन्ही को काम करना है। लिहाजा रविन्द्र यति भी चाहते हैं कि भोपाल की जो कार्यकारिणी बने उसमें उनके ज्यादा से ज्यादा समर्थक रहें ताकि कोई भी काम करने में और फैसला लेने में ज्यादा दिक्कत न आए। दूसरी एक और भी समस्या आ रही है एक व्यक्ति एक पद। क्योंकि जिला कार्यकारिणी में कई ऐसे नामों के सुझाव आए हैं जो पहले से भी किसी अन्य पद पर काम कर रहे हैं। कई नेता नगर निगम की एमआइसी टीम में भी हैं। खुद रविन्द्र यति ही एमआइसी सदस्य हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने एक व्यक्ति एक पद का जो रुट प्लान बनाया है उसमें दिक्कत खड़ी हो रही है। इसी लिए भोपाल भाजपा की कार्यकारिणी में प्रदेश नेतृत्व उलझ कर रह गया है।

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