गोली का जवाब 'गोले' से देंगे,'सिंदूर' देश का गौरव है और बेटियां शक्ति का स्वरुप हैंःपढिए मुखबिर पर पूरी खबर

भोपाल दौरे पर आए पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कई गंभीर बातें कही। प्रधानमंत्री ने 'सिंदूर' को देश के गौरव से जोड़ते हुए कहा कि भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। सिंदूर हमारी परंपरा में नारी शक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमानजी भी सिंदूर को ही धारण करते हैं। शक्तिपूजा में हम इसी का उपयोग करते हैं। और यही सिंदूर भारत की रक्षा का गौरव बना है। मोदी ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों ने भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी हमला किया, हमारे समाज को बांटने की कोशिश की। सबसे बड़ी बात आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। यह चुनौती आतंकियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जंबूरी मैदान में महिला सशक्तीकरण महासम्मेलन में कहा कि है आपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल आपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को भारतीय सेना ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। आपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासी कह रहा हैं कि अगर तुम गोली चलाओगे तो मानकर चलो, गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा। आपरेशन सिंदूर हमारी नारी शक्ति के सामर्थ का भी प्रतीक बना है। मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में महिलाओं की तैनाती पर कहा कि हम सभी जानते हैं कि बीएसएफ का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा योगदान रहा है। जम्मू से पंजाब, गुजरात की सीमा तक बीएसएफ की हमारी बेटियां मोर्चे पर थीं, वो मोर्चा सभाल रही थीं। उन्होंने सीमा पार से होने वाली फायरिंग का जवाब दिया। कमांड से लेकर दुश्मनों की गोली के जवाब में बीएसएफ की बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है। आज दुनिया भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। मोदी ने कहा कि स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में 25 फीसदी कैडेट बेटियां होती थी। आज उनकी संख्या 50 फीसदी तक आगे बढ़ रही है। एनडीए से महिला कैडेट का पहला बैच पासआउट हुआ है, आज सेना नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज आइएएनएस तक बेटियां अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।
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