एमपी बीजेपी का संगठन कौन कर रहा संचालित,बेलगाम होती नेताओं की जुवान पर संगठन कार्रवाई करने में क्यों कर रहा आनाकानी

बगैर मेहनत चुनाव जीत रहे भाजपा के कई नेता आब अपनी है पार्टी के लिए समस्या का सबब बन रहे हैं और भाजपा का नेतृत्व नेताओं की जुवान पर लगाम कसने में नाकाम होता जा रहा है। भाजपा की स्थापना से लेकर अब तक भाजपा में कई तरह के उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। बुरे दौर में भी भाजपा नेताओं ने कभी कैडर से बाहर जाकर बात नहीं की। शालीनता और जनता के बीच आम इंसान की तरह बैठना और बात करना भाजपा की परंपरा रहा है। किसी भी वर्ग के लिए भाजपा में भेदभाव नहीं रहा लेकिन बदलते भारत के साथ भाजपा भी बदल चुकी है। क्योंकि पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जो पीएम मोदी के नाम पर बगैर किसी मेहनत के चुनाव जीत रहे हैं। एमपी लोकसभा और विधानसभा में 70 फीसदी नेता मोदी के नाम पर चुनाव जीत रहे हैं और अब खुद को स्वयंभु भाजपा समझने लगे हैं जिसका नतीजा उनके बड़बोले बयानों से देखा जा सकता है। वो दौर भी देखने को मिलता था जब भाजपा की गाइडलाइन से हट कर बयान देने पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाती थी लेकिन अब भाजपा का कांग्रेसी करण हो चुका है। भाजपा के नेता कहते हैं कि सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। लिहाजा वो जो भी बोल रहे हैं उनका खुद का अधिकार है। अगर उनके बयान को पार्टी से जोड़ कर देखा जा रहा है तो गलत है। प्रदेश नेतृत्व भी इतना कमजोर कभी देखने को नहीं मिला है। कोई भी नेता बयान देता है तो प्रदेश नेतृत्व उसके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं दिखा पाता है। ऐसी परिस्थितियों में ऐसा लगता है कि भाजपा का संगठन कौन चला रहा है यह एक बड़ा सवाल है। क्योंकि इससे पहले जब भी पार्टी लाइन से हट कर बयान आते थे तो तत्काल प्रदेश नेतृत्व ही संज्ञान लेता था। एक और उदाहरण है जब विधानसभा में भाजपा के नेता ने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा किया तो उनको नोटिस केन्द्रीय नेतृत्व ने जारी किया एमपी संगठन का उसमें कोई रोल ही नहीं था। इससे यह स्पष्ट है कि एमपी बीजेपी के संगठन का संचालन कहीं और से ही हो रहा है।
What's Your Reaction?






