जिस संस्था ने कांग्रेस को 50 साल से ज्यादा सत्ता में रखा उसी संस्था के खिलाफ 'वोट चोर-गद्दारी छोड़' अभियान चलाएगी कांग्रेस

आजादी के बाद देश में 50 साल से ज्यादा कांग्रेस ने राज किया। कांग्रेस की निष्पक्ष सरकार बनाने में भारत निर्वाचन आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन कुछ सालों से सत्ता से दूर रही कांग्रेस पार्टी ने उसी संस्था के ऊपर वोट चोरी का आरोप लगाकर देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था की निष्ठा पर सवालिया निशान लगा दिया है। हद तो तब हो गई जब राहुल गांधी के पास जाति आधारित जनगणना जैसा मुद्दा छिन गया तो उन्होने एक नया राग अलापते हुए निर्वाचन आयोग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। देश की जनता के मन में राहुल गांधी ये बीच रोपित करने में कामयाब हो गए कि निर्वाचन आयोग वोट चोरी करवा रहा है। बात यहीं खत्म नहीं हुई अब तो कांग्रेस पार्टी अभियान शुरु करने जा रही है जिसको नाम दिया गया है 'वोट चोर-गद्दारी छोड़' इस अभियान का आगाज मप्र कांग्रेस ग्वालियर से तिरंगा यात्रा के साथ शुरु करने जा रही है। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग का गठन 25 जनवरी 1950 को हुआ था जिसके चार मूल उद्देश्य होते हैं। 1. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना,चुनावों का पर्यवेक्षण और निर्देशन व नियंत्रण। 2. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए मतदाता सूची तैयार करना। 3. राजनीतिक दलों की स्थिति के आधार पर उन्हे राष्ट्रीय य राज्य स्तरीय दलों के रुप में दर्जा प्रदान करना। 4. इस संहिता के माध्यम से निष्पक्ष और न्योचित चुनावों के लिए नियम निर्धारित करना। केन्द्र में पिछले साढ़े ग्यारह साल से सत्ता का बनवास झेल रही कांग्रेस ने चुनाव कराने वाली संस्था पर सवाल खड़ा कर पूरे लोकतंत्रीय ढांचे पर हमला कर दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक लाल किताब लेकर अक्शर घूमते पाए जाते हैं जिसे वो संविधान की किताब कहते हैं हांलाकि उन्होने जनता के सामने उस किताब को कभी खोल कर नहीं दिखाया कि वो वास्तव में संविधान की किताब है अथवा कोरे कागजों का बंडल। लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस को इस बात का अहसास जरुर है कि भारत युवाओं का देश है जो जिसके हाथ में मोबाइल है और वो सोशल मीडिया में व्यस्त रहता है। लिहाजा ऐसे मुद्दे उठाओ जो सोशल मीडिया की ट्रेंडिंग में हो और युवा वर्ग कांग्रेस के बहकावे में आसानी के साथ आ पाए। कुल मिला कर कांग्रेस की तरफ से तैयार किए जा रहे भ्रम जाल में पूरा देश फंस रहा है। नतीजा कुछ नहीं निकलने वाला है लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस ने चुनाव प्रचार करने के बजाय निर्वाचन आयोग जैसी संस्था की निष्ठा पर सवाल खड़ा किया है उससे देश का युवा और आम नागरिक यह सोचने के लिए जरुर मजबूर हो रहा है कि कहीं राहुल गांधी सच तो नहीं बोल रहे। दरअसल राहुल गांधी और अन्य कांग्रेसियों ने पहले ईवीएम को निशाने पर लिया था लेकिन लोकसभा में 99वे सीट मिलने के बाद कांग्रेस का ईवीएम वाला मुद्दा फ्लॉप हो गया जिसके बाद उन्होने निर्वाचन आयोग को ही वोट चोर का आरोपी ठहरा दिया और पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया।
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