महज 11 साल के बनवास में ही कांग्रेस ने आपा खोया,देश की सर्वोच्च संस्था पर ही मढ़ दिया चोरी का आरोप

50 साल से अधिक सत्ता में रहने वाले कांग्रेस के नेता 11 साल में ही बनवास से तंग आ चुके हैं। लोकतंत्र की बात करने वाले कांग्रेस के नेता अब लोकतंत्र पर ही हमला करने लगे हैं। हाथ में लाल किताब लेकर घूमने वाले राहुल गांधी ने देश की सर्वोच्च संस्था पर ही वोट चोरी का आरोप लगा कर उसे दोशी ठहरा दिया है। जिस प्रकार से कांग्रेस नेताओं ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया है उसके बाद हर व्यक्ति की जुवान पर यही सवाल है कि सालों तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी क्या इसी प्रकार से सत्ता में आती थी। क्योंकि भाजपा को तो अभी महज 11 साल देश की सत्ता में आए हुआ है लेकिन कांग्रेस तो 50 साल से ज्यादा समय तक देश की सत्ता में रही और उस वक्त विपक्षी पार्टियों के सांसदों की संख्या उंगलियों में गिनने के लायक हुआ करती थी। इसके बाद भी विपक्षी सांसदों ने अपना धैर्य नहीं खोया और न ही उन्होने निर्वाचन आयोग पर वोट चोरी का संगीन आरोप लगाया लेकिन राहुल गांधी ने जिस प्रकार से पूरे देश में वोट चोरी का एक प्रोपोगेंडा खड़ा किया है उससे युवा वर्ग संशय की स्थिति में पहुंच गया है। राहुल गांधी के आरोप के बाद इस बात का भी सवाल उठ रहा है कि जब साल 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के 114 विधायक जीते तो क्या उस वक्त निर्वाचन आयोग ने वोट चोरी नहीं की थी। और अगर वोट चोरी हुई होती तो भाजपा 107 सीटों में ही कैसे सिमट कर रह जाती। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती तो क्या वहां पर वोट चोरी नहीं हो पाई। अथवा 99वे सीट तक कांग्रेस पहुंची तो वहां भी वोट चोरी नहीं हो पाई। हकीकत यही है कि कांग्रेस की सत्ता से दूरी अब इस कदर दिमांग में हावी होने लगी है कि जिस संस्था को कांग्रेस की सरकार में ही गठित किया गया था उसी संस्था पर चोरी का आरोप मढ़ कर किसी भी तरह से सत्ता के शिखर तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
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