कांग्रेस अपने जनप्रतिनिधियों की लेगी 'थाह' कौन कितने पानी में है कराया जाएगा सर्वे

मिशन 2028 की तैयारियों में जुटी मप्र कांग्रेस हल वो काम कराने की कोशिश कर रही है जिससे बाद में पछताना न पड़े। यही कारण है कि संगठन सृजन अभियान के बाद अब कांग्रेस अपने जनप्रतिनिधियों के लोकप्रियता की जांच कराने की रणनीति बना रही है। कांग्रेस को इस बात का अहसास हो चुका है कि भाजपा से मुकाबला करना है तो हर मोर्चे को मजबूत करना पड़ेगा। न सिर्फ संगठन को मजबूत करना होगा बल्कि वर्तमान में जो कांग्रेस के जनप्रतिनिधि हैं उनकी उनके क्षेत्र में वर्तमान की स्थिति क्या है। वो लैकप्रियता के पायदान में कहां खड़े हैं। अगले चुनाव में जीत सकते हैं य फिर खुद के साथ पार्टी को हराने के लिए तेयार हैं। ऐसे सवालों का जवाब ढूढने के लिए मप्र कांग्रेस अब अपने जनप्रतिनिधियों के लोकप्रियता की थाह लेने जा रही है। कांग्रेस सबसे पहले नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का सर्वे कराएगी उसके बाद विधायकों की लोकप्रियता का आंकलन किया जाएगा। दरअसल साल 2027 में नगरीय निकायों का चुनाव होना है इसलिए कांग्रेस पहले नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का सर्वे कराएगी। कांग्रेस ने तय किया है कि कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनप्रतिनिधियों का मतदाताओं से संपर्क, संवाद और कामकाज के आधार पर पता लगाया जाए कि क्षेत्र में उनकी छवि कैसी है। ये भी पता किया जाएगा कि अगर वो क्षेत्र में अलोकप्रिय हैं तो उसका कारण क्या है। इसके आधार पर कांग्रेस संगठन निकायवार जनप्रतिनिधियों को बुलाएगा और उन्हे आगामी तैयारी के लिए सचेत करने के साथ मार्गदर्शन भी दिया जाएगा।कांग्रेस अपने इस अभियान में हारे हुए जनप्रतिनिधियों से भी फीडबैक लेगी। कांग्रेस के इस फैसले का विरोध दवी जुवां पार्टी के ही जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। नाम न छापने की सर्त पर कांग्रेस के कुछ विधायकों ने Mukhbir से कहा कि यही काम प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद की विधानसभा में कराए होते तो चुनाव क्यों हारते। खुद तो चुनाव हार कर बैठे हैं और जीते हुए जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का आंकलन करने के लिए नए-नए उपाय सोचते रहते हैं जिससे अपने ही जनप्रतिनिधियों को कैसे अपमानित किया जा सके।
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