कांग्रेस में छलनी लगा कर किया जा रहा ‘सृजन’ सिफारिश वाले नेता हो रहे परेशान किसके पास जाएं किससे सिफारिश

भाई भतीजा वाद से ओत प्रोत कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए इस वक्त काफी कठिन समय चल रहा है। दरअसल जिस प्रकार से कांग्रेस में छलनी लगाई गई है उससे कई नेताओं के भविष्य पर पानी फिरने वाला है। इतिहास के पन्नों की तरफ देखें तो कांग्रेस में अक्शर बड़े नेताओं के रिस्तेदारों को ही बड़े पद थाली में सजा कर मिलते रहे हैं। बड़े नेताओं के बेटे ही अक्शर पार्टी में बड़े पदों पर बैठा करते थे लेकिन विधानसभा औऱ फिर लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी ने पूर्व की गलतियों से सीख लेते हुए अब भाई भतीजावाद को खत्म करने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। यही कारण है कि पार्टी की तरफ से संगठन सृजह अभियान का आगाज किया गया है जिसके लिए केन्द्र की तरफ से 61 ऑब्जर्वर एमपी भेजे गए हैं जो प्रदेश के हर जिले में जाकर कार्यकर्ताओं के साथ बंद कमरे में मुलाकात कर पार्टी का फीडबैक लेने के साथ ही छह-छह नामों का पैनल तैयार करेंगे। जिन नामों का पैनल तैयार किया जाएगा वो पार्टी के मूल कार्यकर्ता होंगे न कि किसी नेता के भाई अथवा भतीजे होंगे। कांग्रेस का मक्शद यह है कि पार्टी में मेहनती और ईमानदार कार्यकर्ताओं को आगे लाकर मिशन 2028 औऱ 29 की तैयारी को पुख्ता करना है। इस संगठन सृजन अभियान में पार्टी के पर्यवेक्षकों को काफी समस्याओं से भी गुजरना पड़ रहा है। क्योंकि वो एमपी के नेताओं के भाई भतीजावाद वाली रणनीति से काफी परेशान हैं। पर्यवेक्षक जहां भी जाते हैं वहां पर विधायक अपनी सिफारिश लेकर पहुंच जाते हैं। पर्यवेक्षक भी बेमन होकर सभी विधायकों को उल्टे पांव वापस कर देते हैं। लेकिन इस बीच विधायकों की नाराजगी को लेकर भी स्थानीय कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट रहा है। पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं के गुस्से का भी सामना कर रहे हैं और उन्हे भविष्य की कांग्रेस भी तैयार करनी पड़ रही है।
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