‘विजय शाह और जगदीश देवड़ा’ की जगह सामान्य वर्ग का नेता विवादित बयान देता तो क्या भाजपा छोड़ती

मप्र भाजपा में हर वर्ग को अलग-अलग नजर से देखा जाता है। जिस प्रकार से मंत्री विजय शाह,जगदीश देवड़ा और फग्गन सिंह कुलस्ते ने विवादित बयान दिया और पार्टी ने उनके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया तो क्या यही प्रक्रिया सामान्य वर्ग के लिए होती। यह एक बड़ा सवाल है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी इन दिनों सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही है भाजपा को इस बात का एहसास है कि ओबीसी,एससी और एसटी वर्ग के इतने वोट हैं कि इन्हे नाराज नहीं किया जा सकता है लिहाजा ये नेता कुछ भी कहें इनके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लेना है। भाजपा वही पार्टी है जिसने ब्राह्मणों को गाली देने वाले प्रीतम लोधी जैसे नेता को चुनाव के ऐन मौके पर पार्टी में शामिल किया और आज वो विधायक हैं। विजय शाह पार्टी के बड़े आदिवासी नेता हैं और भाजपा को इस बात का अहसास है कि अगर विजय शाह पर कार्रवाई की जाती है तो एक बड़ा वोटबैंक उसके हाथ से छिटक सकता है। सामान्य वर्ग का कोई भी नेता और कार्यकर्ता अगर छोटी गलती भी करता है तो उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से ऐक्शन लिया जाता है लेकिन अन्य वर्गों के बारे में भाजपा हिम्मत नहीं जुटा पाती है। प्रदेश में सामान्य वर्ग के अनेकों नेता भाजपा में हैं जो आज पीछे की कुर्सियों में बैठने के लिए मजबूर हैं लेकिन उन्हे भाजपा की तरफ से उपक्रित नहीं किया जाता है क्योंकि वो सामान्य वर्ग से आते हैं। इससे अलग जब भी भाजपा संकट में आती है तो सामान्य वर्ग के नेताओं को ही पार्टी की तरफ से डैमेज कंट्रोल के लिए आगे किया जाता है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा,डॉ. नरोत्तम मिश्रा,नरेन्द्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता हैं जिन्हे पार्टी हमेशा डैमेज कंट्रोल के लिए इस्तेमाल करती है लेकिन जब काम निकल जाता है तो इन सभी नेताओं को साइड में बैठा दिया जाता है।
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