भाजपा परिवारवाद के विरुद्ध है या बेटा वाद के विरुद्ध,पिक्चर क्लियर नहीं

भाजपा में जिलों की कार्यकारिणी जारी करने का दौर चल रहा है। जिसमें परिवारवाद को लेकर काफी चर्चा हो रही है। दरअसल यह बात इसलिए उठ रही है क्योंकि मंडला जिले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन को और मंत्री संपतिया उइके की बेटी को जिला कार्यकारिणी से बाहर किया गया है। भारतीय कानून के तहत बहन की शादी होती है तो उसका परिवार अलग हो जाता है ठीक उसी प्रकार बेटी की शादी होने पर उसका भी परिवार अलग हो जाता है। ऐसे में अगर वो अपनी मेहनत के बूते अथवा किसी की जुगाड़ से ही कार्यकारिणी में स्थान बनाते हैं तो वो परिवारवाद की श्रेणी में कैसे आते हैं। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा का एक और तर्क है कि पित्रपक्ष चल रहा है जिसमें किसी भी पूर्वज का तर्पण होता है तो उसमें उनका कोई भाग नहीं होता और ठीक उसी प्रकार शादी होने के बाद बहन अथवा बेटी की शादी होने के बाद यूनिट अलग हो जाती है लिहाजा ये परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आते हैं। जिस प्रकार से भारयीय जनता पार्टी ने मंडला में निर्णय लिया है वो पूरी तरह से आनुचित है। एक और भी बात है। जब जिरा कार्यकारिणी बनती है तो जिलों से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक में कई बार छन्ना लगता है उसके बाद भी नेताओं के बहन और बेटी को कार्यकारिणी में स्थान मिला तो भाजपा की यह एक बड़ी चूक है और घोषणा होने के बाद कार्यकारिणी से निकाला गया तो वह अपमान जनक बात भी कही जाती है। लिहाजा भाजपा को अपने इस प्रकार के फैसले पर एक बार फिर विचार करने की जरुरत है।
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