'संघ और संगठन' के बीच समन्वय बनाने वाले पदाधिकारियों से अपना समन्वय तलाश रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया

मप्र की राजनीति में अक्शर कुछ ऐसा देखने को मिलता है जो अप्रत्याशित होता है। अभी तक धन और बल की ताकत दिखाने वाले केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अब सियासी ताकत की तरफ रुख कर चुके हैं। भाजपा में आने के बाद उन्हे जैसे-जैसे भाजपा की अंदरुनी ताकत और कार्यशैली का अहसास हो रहा है वो उसी के अनुरुप अपना सियासी गेयर बदल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस बात का अहसास हो चुका है कि भाजपा में पद और प्रतिष्ठा चाहिए तो संघ से करीबी जरुरी है। और सिर्फ संघ ही नहीं बल्कि संघ और संगठन के बीच समन्वय का काम करने वाले पदाधिकारियों को भी साधना जरुरी है। भाजपा में आने के बाद सिंधिया ने जिस प्रकार से अपनी राजनीतिक योजना में बदलाव किया है उसकी तस्वीर समय-समय पर देखने को मिलती रही है। नागपुर संघ मुख्यालय का दौरा हो अथवा भोपाल आने पर सबसे पहले समिधा में जाना हो ये ज्योतिरादित्य सिंधिया के सियासी सफर की दिनचर्या बन चुका है। हाल में दो दिन पहले कुछ वीडियो वायरल किए गए जिसमें सिंधिया शिवपुरी के एक गांव में एक साधारण से घर में जाते हैं। वो घर दिखने में तो बड़ा सामान्य था लेकिन उस घर का एमपी की राजनीति से बहुत गहरा रिस्ता है। वर्तमान में उसी घर से निकला व्यक्ति एमपी की राजनीति की धुरी है। दरअसल वो घर है भाजपा के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा का जो काफी सधे हुए व्यक्ति हैं। संगठन के गढ़ने का और उसे मजबूत करने का उन्हे काफी अनुभव है। पिछले कुछ वर्षों में एमपी बीजेपी ने जिस प्रकार से सफलता के शिखर को प्राप्त किया है उसमें हितानंद शर्मा का काफी योगदान है। लिहाजा ऐसे पदाधिकारी का संरक्षण हर नेता चाहता है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हितानंद शर्मा के गांव वाले मकान में जाकर एक नई इबारत लिखने की कोशिश की है। संगठन महामंत्री के घर पहुंचने पर उनकी माता जी सिंधिया के तिरक लगाकर स्वागत करती हैं और उनका जमकर सत्कार होता है काफी देर तक एक बेटे की तरह सिंधिया मां से से बात करके काफी अपनत्व दिखाने का प्रयास करते हैं। मलब साफ है कि प्रदेश में एक नई सियासी एक्सप्रेस दौड़ने के लिए तैयार है। उस एक्सप्रेस को फ्यूल की आवश्यकता है जिसे संघ की तरफ से ही मिल सकता है लिहाजा अब सिंधिया एक ऐसे ट्रैक पर आ चुके हैं जिसके बल पर वो अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। देखना दिलचश्प होगा कि संघ,संगठन के बीच बनाए जा रहे इस समन्वय का क्या परिणाम निकलता है।
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