'उपेक्षाओं' के बीच अपेक्षा का रिस्ता क्या कहलाता है,तस्वीर खुद बयां करती है भाजपा नेताओं की मजबूरी

आमतौर पर नेताओं का एक दूसरे के निवास पर जाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन वर्तमान समय में जिस प्रकार से मध्य प्रदेश भाजपा की राजनीति अपने संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है उसके बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक दूसरे के घर जाने का मतलब साफ है कि कुछ तो है। जिस प्रकार से प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री राकेश सिंह वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव के निवास पर पहुंचे और दोनों नेताओं ने काफी देर तक बैठकर एक दूसरे से वाद और संवाद किया और उन दोनों के बीच की आत्मीयता भरी जो तस्वीर सामने आई वो बगैर कुछ बोले ही सब कुछ वयां करने के लिए पर्याप्त है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी में पिछले कुछ समय से वरिष्ठ नेताओं को ठिकाने लगाने का काम जोरों पर चल रहा है। कौन-कौन से नेता अब तक ठिकाने लगाए जा चुके हैं इसकी गिनती भी राजनीतिक विश्लेषक बखूबी कर रहे हैं। मंत्री राकेश सिंह सरकार में एक बड़े पद पर जरूर हैं लेकिन जिस प्रकार से उनका हाल ही में एक विवादित बयान आया उसके बाद वो चारों तरफ से घिर गए हैं। यही कारण है कि अब वो वरिष्ठ नेताओं की शरण में जाकर उनसे खुद के लिए कहीं ना कहीं समर्थन की अपील कर रहे हैं। इस बात में भी कोई शक नहीं की राकेश सिंह खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते थे और जब उन्हें लोकसभा से विधानसभा भेजा गया था तब भी उन्हें यही उम्मीद थी कि शायद केंद्रीय नेतृत्व ने उनके लिए कुछ बड़ा सोच रखा है लेकिन उनकी उम्मीदें तब हरि की रहे धरी रह गई जब नेतृत्व ने उन्हें महेश मंत्री बनकर ही संतुष्ट कर दिया।
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