कैसा होगा 'पुलिस भर्ती बोर्ड' खाली पद तो भरे जाएंगे लेकिन सरकार कैसे जीत पाएगी युवाओं का भरोसा बड़ा सवाल

मप्र में किसी भी शासकीय विभाग में भर्ती हो और उसमें घोटाले की बात न हो यह संभव नहीं है। राज्य सरकार ने शासकीय भर्तियों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए लेकिन वो सारे प्रयास नाकाफी निकले नतीजे के तौर पर पुलिस विभाग की हुई भर्ती में बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगा और सरकार के दामन में एक बार फिर दाग लगा। पुलिस भर्ती में हुई घोटाले पर सरकार विधानसभा में भी घिरी और कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए गांधी प्रतिमा के पास जोरदार प्रदर्शन कर सरकार की नीयति पर सवालिया निशान लगा दिया। इन सभी आरोपों से उबरते हुए अब सीएम यादव ने बड़ी घोषणा कर दी है। गौरतलब है कि सिंघस्थ से पहले प्रदेश में बड़ी संख्या में पुलिस बल की आवस्यकता है और पुलिस विभाग में पहले से ही बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं। लिहाजा अगली भर्ती में किसी प्रकार का बवाल न हो उसके पहले सीएम मोहन यादव ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए 'पुलिस भर्ती बोर्ड' के गठन का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के साथ सीएम यादव ने यह भी दावा किया है कि पुलिस विभाग के सभी खाली पदों पर भर्तियां की जाएंगी। अभी तक सरकार ने साढ़े सात हजार भर्ती का ऐलान किया है। अब सवाल इस बात का उठ रहा है कि पुलिस भर्ती में किसी प्रकार की अनियमितता न हो उसके लिए पुलिस भर्ती बोर्ड का तो सीएम ने ऐलान कर दिया है लेकिन सरकार ने यह क्लियर नहीं किया है कि पुलिस भर्ती बोर्ड में सदस्य कौन होंगे और इसका बायलाज किस प्रकार से तैयार किया जाएगा। और अगर पुलिस भर्ती बोर्ड का गठन होने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। लगातार आरोपों में घिरे सीएम यादव ने बोर्ड के गठन की घोषणा तो कर दी है लेकिन उसको लेकर अब युवाओं के मन में हजारों सवाल तैर रहे हैं जो उन्हे न तो गूगल बाबा से मिल रहे और न ही सरकार की तरफ से मिल रहे हैं। दरअसल एमपी में अलग-अलग विभागों में भर्तियां होती रही हैं लेकिन ऐसी कोई भी भर्ती नहीं है जिसमें निष्पक्षता की बात आई हो। हर भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। तथाकथित व्यापम घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा उदाहरण रहा है जिसकी सच्चाई आज भी धरातल के उस गर्भ में छिपी है जिसे कोई नहीं निकाल सकता। राज्य सरकार की तरफ से सीएम यादव ने सभी विभागों में करीब ढाई लाख शासकीय भर्तियों का ऐलान किया है। पुलिस के लिए तो अलग से बोर्ड के गठन का भी ऐलान किया है लेकिन लोगों के दिलों दिमांग में यह सवाल है कि अन्य विभागों में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने के लिए सरकार क्या करने जा रही है।
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