कांग्रेस के संगठन ‘सृजन’ पर लगा पलीता,सीनियरों के दबाव के आगे पटवारी का विजन 28 रहा फेल

कांग्रेस की ओर से चलाए गए संगठन सृजन अभियान को पलीता लगाते हुए वरिष्ठों के हिसाब से ही जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। पिछले तीन महीने से कांग्रेस अध्यक्ष ने हउआ बना रखा था कि सबकुछ नए शिरे से होगा लेकिन हुआ वही जो सीनियर नेता चाहते थे। अब सवाल यही उठता है कि क्या इसी सृजन के बल पर कांग्रेस पार्टी भाजपा के संगठन को टक्कर देने की मंशा रख रही है। गौरतलब है कि मप्र कांग्रेस ने 71 संगठनात्मक जिलों के लिए अध्यक्षों की घोषणा शनिवार को केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद कर दी है। सूची में पीढ़ी परिवर्तन के साथ मिशन 2028 की झलक दिख रही है। 71 में से 50 नए (70 प्रतिशत) हैं, जबकि 21 को यथावत रखा गया है। भोपाल के शहर अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना और ग्रामीण अध्यक्ष अनोखी पटेल को भी नहीं बदला है। इससे साफ है पार्टी की पूरी रणनीति पीढ़ी परिवर्तन को लेकर रही है। जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष और उमंग सिंघार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद पार्टी ने पीढ़ी परिवर्तन की दूसरी चाल चली है। इंदौर शहर और ग्रामीण दोनों जगह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के करीबी चिंटू चौकसे और ग्रामीण में विपिन वानखेड़े को जगह मिली है। छिंदवाड़ा में विश्वनाथ ओखटे और बालाघाट में संजय उइके को जिलाध्यक्ष बनवाने में कमल नाथ की चली । मंदसौर के जिलाध्यक्ष बने महेंद्र गुर्जर और रतलाम ग्रामीण के जिलाध्यक्ष बने हर्ष विजय गहलोत मीनाक्षी नटराजन की पसंद बताए जाते हैं। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन और भतीजे प्रियव्रत सिंह को स्थान मिला है। अजय सिंह राहुल सीधी में ज्ञान प्रताप सिंह को दायित्व दिलवाने में सफल रहे। धार में स्वतंत्र जोशी उमंग सिघार के नजदीकी बताए जाते हैं। इसी तरह से अरुण यादव और कांतिलाल भूरिया को भी महत्व दिया गया है। Mukhbir को मिली सूचना के अनुसार जिलाध्यक्षों में 15 ऐसे हैं जिन्होंने जिलाध्यक्ष के लिए आवेदन ही नहीं किया था, पर पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और राहुल गांधी की सहमति मिलने के बाद उन्हें जिम्मेदारी दी गई है।
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