'शिव' की सरकार में आए संकट का मोचन करते थे डॉ. नरोत्तम मिश्रा, मोहन के संकट का कौन करेगा 'मोचन'

सरकार चलाने में सिर्फ सीएम ही नहीं बल्कि उसके आसपास सहयोगी के तौर पर किस प्रकार के नेता हैं उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। पूर्व की शिवराज सरकार में डॉ. नरोत्तम मिश्रा जैसे राजनीति के महारथी हुआ करते थे जो सरकार पर आई किसी भी प्रकार की विपदा को चुटकी बजा कर हल कर दिया करते थे। जिस प्रकार से इस वक्त मप्र भाजपा अपने ही नेताओं के विवादित बयानों से घिरी है उसका कोई तोड़ राज्य सरकार के पास नहीं है। मीडिया को मैनेज करने से लेकर हर कदम में सरकार का फेलोअर देखने को मिला है। जबकि सरकार में कैलाश विजयवर्गीय,राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद हैं फिर भी सरकार चारों तरफ से कटघरे में घड़ी है। जिस प्रकार की कठिन परिस्थितियों से सरकार गुजर रही है इससे कठिन परिस्थिति शिवराज सरकार में आई हैं लेकिन उस वक्त डॉ. नरोत्तम मिश्रा जैसे राजनीति के मझे खिलाड़ी सदन में मौजूद रहा करते थे जो किसी भी आरोप का इतनी सरलता से जवाब देने में माहिर थे कि सरकार को हर दिक्कत से निकालने में देर नहीं लगती थी। डॉ. नरोत्तम मिश्रा सियासत के वो खिलाड़ी हैं जिन्हे पार्टी ने जब भी मौका दिया तो उन्होने खुद को साबित किया। उदारहण के तौर पर लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हे न्यू ज्वाइनिंग कमेटी के संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी जिसका नतीजा यह निकला कि उन्होने पूरी कांग्रेस में तोड़-फोड़ मचा दी और कांग्रेस में भगदड़ मच गई। नतीजा यह निकला कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पहली बार मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही। दरअसल डॉ. नरोत्तम मिश्रा न सिर्फ राजनीति के मझे खिलाड़ी हैं बल्कि पार्टी के हर नेता से उनके ऐसे संबंध हैं जिसका फायदा वो पार्टी के हित के लिए उठा लिया करते थे। पार्टी को जब भी उनकी जरुरत पड़ी तो उनको आगे किया गया। इस बात में कोई सक नहीं कि जिस प्रकार से इस वक्त संगठन और सरकार सवालों के घेरे में हैं और विपरीत परिस्थितियों से निपटने में नाकाम साबित हो रहे हैं ऐसे वक्त अगर नरोत्तम मिश्रा जैसे खिलाड़ी होते तो शायद विजय शाह,जगदीश देवड़ा जैसे नेताओं के विवादित बयान ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाते।
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