बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पीएम मोदी को बताया शिल्पी,कहा मोदी ने देश के आत्म विश्वास को किया पुनर्जीवित

मनुष्य को अपने मन से अपना उद्धार करना चाहिए, अपने आप को कभी नीचा नहीं गिराना चाहिए, क्योंकि वह स्वयं ही अपना मित्र और स्वयं ही अपना शत्रु है। गीता का यह उपदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की सच्ची व्याख्या करता है। उनका जीवन संघर्ष, साधना और राष्ट्रसेवा की प्रेरणादायक गाथा है। 17 सितंबर 1950 को गुजरात के छोटे से नगर वडनगर में जन्मे नरेंद्र दामोदरदास मोदी का बचपन संघर्ष और साधना से भरा था। पिता की चाय की दुकान में हाथ बँटाने वाले छोटे नरेंद्र ने कठिनाइयों को अवसर में बदलना सीखा। उनकी मां हीराबेन मोदी का त्याग, सादगी और संस्कार उनके जीवन की अमूल्य धरोहर बने। माँ ने ही सिखाया कि ईमानदारी, श्रम और राष्ट्रभक्ति ही जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। यही शिक्षा आगे चलकर मोदी जी के व्यक्तित्व की रीढ़ बनी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जब सैनिक ट्रेन से गुजरते थे, तो बालक नरेंद्र उन्हें चाय पिलाते और मन ही मन यह संकल्प लेते कि बड़े होकर देश की सेवा करेंगे। बाल्यावस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और राष्ट्रसेवा का संकल्प लिया। आपातकाल के दौरान उन्होंने तानाशाही सरकार के खिलाफ पत्रक बाँटे, कार्यकर्ताओं को संगठित किया और बुलंद आवाज़ उठाई। यह उनका पहला बड़ा राष्ट्रीय संघर्ष था, जिसने उनके व्यक्तित्व को और अधिक दृढ़ बनाया। गरीबी और कठिनाइयों से भरे बचपन ने उन्हें जीवन के कठोर पाठ सिखाए। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। संघ में बाल स्वयंसेवक से लेकर सक्रिय कार्यकर्ता तक का सफर उनके समर्पण का प्रमाण है। इन्हीं संघर्षों और साधना ने नरेंद्र मोदी को आज लोकनायक बनाया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी जी ने देश में विकास का एक नया मॉडल प्रस्तुत किया, जिसने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। 2014 में वे भारत के प्रधानमंत्री बने और उसके बाद 2019 तथा 2024 में लगातार प्रचंड जनसमर्थन प्राप्त कर तीसरी बार देश की बागडोर संभाली। लोकतंत्र में यह जनता के विश्वास और नेतृत्व की स्वीकृति का स्पष्ट प्रमाण है। लोकतंत्र में जनादेश केवल मतदान की औपचारिकता नहीं, बल्कि जनता का विश्वासपत्र होता है। मोदी जी को लगातार तीन बार यह विश्वासपत्र मिला है। पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने गरीबों और वंचितों को केंद्र में रखकर अनेक योजनाएँ लागू कीं। जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना और किसान सम्मान निधि जैसी पहलें करोड़ों लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने में मील का पत्थर हैं।
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