शिव की 'पग-पग' से मोहन की 'डग-डग' एक्स और वर्तमान सीएम के बीच तेज हुई वर्चश्व की जंग

मप्र की सियासत में इस वक्त एक्स और वर्तमान सीएम के बीच वर्चश्व की जंग अब सतह पर आ चुकी है। करीब एक साल से शांत बैठे पांव-पांव वाले भैया अब राजनीति की एक नई खेलने जा रहे हैं जिसकी शुरुआत उन्होने अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा से कर दी है। इस बात में कोई सक नहीं कि पूर्व सीएम शिवराज से बड़ा प्रदेश में सियासत का बड़ा खिलाड़ी कोई नहीं है। जहां से दूसरे लोग सोचना बंद करते हैं वहीं से पूर्व सीएम शिवराज सोचना शुरु करते हैं। कब कौन सा मोहरा कहां चलना है और किस मोहरे को कहां इस्तेमाल करना है इस बात का ज्ञान शिवराज सिंह चौहान को पूरी तरह से है। इसी लिए जब एमपी में सीएम बदलने की बात आई तो केन्द्रीय नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली बुला लिया जिससे एमपी में शांति बनी रहे। केन्द्रीय नेतृत्व करीब एक साल तक इस रणनीति में कामयाब भी रहा लेकिन पांव-पांल वाले भैया के पैरों में केन्द्रीय नेतृत्व जंजीर डालने में नाकाम रहा और जिसका नतीजा यह निकला कि शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा से पद यात्रा शुरु कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इस बात में कोई सक नहीं है कि शिवराज सिंह चौहान ने सीएम रहते इतनी बड़ी लकीर पहले ही खींच दी थी जिसे मिटाने के लिए मोहन यादव को अभी और लंबा वक्त लगेगा। पुरानी लकीर खत्म हो उसके पहले ही शिवराज सिंह चौहान ने नई लकीर बनाना शुरु कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से संचालित लाड़ली बहना योजना भी पूर्व सीएम शिवराज की देन है। जब प्रदेश में सीएम बदला गया था तब कई महिलाओं के आंखों में आंसू भी आ गए थे। प्रदेश की महिलाओं की नजर में जो सम्मान उनके भैया और मामा के लिए है वो किसी से छिपा नहीं है। और अगर शिवराज सिंह चौहान विदिशा से निकल कर प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों में जाते हैं तो प्रदेश की राजनीति किस ओर जाएगी किसी से छिपा नहीं है। मतलब साफ है कि शिवराज सिंह चौहान की यह पद यात्रा सीएम मोहन यादव के लिए बड़ी चुनौती बनने जा रही है।
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