उमंग की 'खिचड़ी' में पटवारी ने फैलाया 'रायता' समेटने के लिए दो दिन रहे नाकाफी

Jul 27, 2025 - 06:32
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उमंग की 'खिचड़ी' में पटवारी ने फैलाया 'रायता' समेटने के लिए दो दिन रहे नाकाफी

मप्र कांग्रेस में हमेशा किसी एक नेता का वर्चश्व रहा है। और जब भी एक से अधिक नेता का वर्चश्व रहा तब कांग्रेस धराशाही हुई है। दिग्विजय सिंह के दौर में नेता तो बहुत थे लेकिन उनकी इंजीनियरिंग के आगे सारे नेता बौने साबित हुए और उन्होने दस साल तक सफलतम सरकार चलाई और उन पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा। ये बात और है कि उस वक्त उठे सड़क,बिजली और पानी जैसे मुद्दे ने उनकी सरकार को तीसरी बार नहीं बनने दिया। और प्रदेश में भाजपा की सरकार स्थापित हो गई। साल 2019 में एक बार फिर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया लेकिन उस वक्त कांग्रेस में कई कद्दावर नेता थे। जिसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह,ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता थे और नतीजा यह निकला कि महज 15 महीने में कांग्रेस की सरकार जमींदोज हो गई। उसके बाद कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने अग्रिम पंक्ति के नेताओं को पीछे करते हुए दो युवा नेताओं को आगे कर दिया। जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष तो उमंग सिंघार ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया। यहां पर कांग्रेस के नेतृत्व ने सोशल इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना पेश करने की कोशिश की। जिसके तहत ओबीसी और जनजाति वर्ग को साधने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि जब दो युवा नेता मैदान में होते हैं तो ताकत से ज्यादा वर्चश्व की लड़ाई हो जाती है। आखिर हुआ भी वही। जीतू पटवारी संगठन में 'सृजन' ही करते रह गए और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मांडू के दो दिवसीय प्रशिक्षण का 'सृजन' कर दिया। असल में यह प्रशिक्षण शिविर कम नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार मिशन 2028 के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे थे। यही कारण है कि उन्होने विधायकों के माध्यम से अपना शक्ति प्रदर्शन राहुल गांधी को दिखाना चाहा था इसी लिए उन्होने राहुल गांधी को आमंत्रित किया था। लेकिन जीतू पटवारी को सिंघार द्वारा पकाई जा रही खिचड़ी की खुबसी लग गई। पटवारी ने सोचा कि इस खिचड़ी का स्वाद कैसे खराब किया जाए तो उन्होने उस खिचड़ी में तड़का लगने से पहले ही रायता डाल दिया जिससे पूरी खिचड़ी बेस्वाद हो गई।

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