वीडी शर्मा ने मांगी 'माफी' पद जाने पर गलतियों का हुआ अहसास

जिस प्रकार ऊंची बिल्डिंग के ऊपर खड़ा होकर नीचे देखने पर व्यक्ति छोटा दिखाई पड़ता है ठीक उसी प्रकार किसी पद में बैठने के बाद आम इंसान और कार्यकर्ता की भावनाओं का अहसास नहीं होता। और पद जाते ही वो सारी बातें याद आने लगती हैं कि उसने पद में रहते हुए किस प्रकार से लोगों की अनदेखी की है। बुधवार को जब नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष को निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया गया तो पूर्व अध्यक्ष वीडी शर्मा को अपनी गलतियों का शायद अहसास हो रहा था। जिस वक्त अपने अध्यक्षीय कार्यकाल का वीडी शर्मा आखिरी संबोधन दे रहे थे उस वक्त उनके चेहरे के भाव यह बयां करने के लिए काफी थे कि उन्होने पद में रहते हुए किस प्रकार से कार्यकर्ताओं और उनसे जुड़े लोगों की अनदेखी की है। प्रेसवार्ता के दौरान भी पूर्व अध्यक्ष के माथे की लकीरें चीख-चीख कर यह बयां कर रही थी कि उनको अब पद जाने का मलाल हो रहा है। मंच से जिस प्रकार वीडी शर्मा ने कार्यकर्ताओं से मांफी मांगी उससे यह क्लियर हो रहा था कि उन्हे अब अपने द्वारा की गई गलतियों का अहसास हो रहा है। हांलाकि वीडी शर्मा को यूं ही शुभंकर अध्यक्ष नहीं कहा जाता है उन्होने अपने कार्यकाल में अथक परिश्रम करके संगठन को मजबूत किया। युवाओं की एक फौज तैयार की। जिन्होने विधानसभा और लोकसभा चुनाव की विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाया और भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के सरकार बनाने में कामयावी हासिल की। पूर्व अध्यक्ष की गतनी ही गलती थी कि उनके आसपास रहने वालों पर उन्होने आंख मूंद कर विश्वास किया। वीडी शर्मा के आसपास रहने वालों ने जो बताया वही माना और जो दिखाया वही उन्होने देखा। इसका नतीजा ये निकला कि उनके और जो चाहने वाले थे वो दूर होते चले गए और जय चंद उनके करीब आते चले गए। एक कहावत है अब पछिताए होत क्या जब चिड़िया चुक गई खेत।
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