पर्दे के पीछे से कौन चला रहा एमपी बीजेपी का संगठन,आखिर क्यों संगठन से उठ रहा कार्यकर्ताओं का विश्वासःपढ़िए मुखबिर

Jun 8, 2025 - 09:37
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पर्दे के पीछे से कौन चला रहा एमपी बीजेपी का संगठन,आखिर क्यों संगठन से उठ रहा कार्यकर्ताओं का विश्वासःपढ़िए मुखबिर

भाजपा में व्यक्ति नहीं अनुशासन को सर्वोपरि माना जाता था लेकिन पिछले एक साल से सफलता की एक्सप्रेस में सवार मप्र भाजपा अनुशासन को ही भूल गई है। कहते हैं लगातार मिलती सफलताएं इंसान को विचलित कर देती हैं और लगातार सफलता मिलने के बाद इंसान खुद को ही ईश्वर भी समझने की गलती कर बैठता है। कुछ ऐसा ही हाल एमपी बीजेपी के संगठन का भी देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि बीजेपी में हर नेता स्वंभु हो गया है। हर नेता खुद की भाजपा चला रहा है। एमपी बीजेपी में इस वक्त दर्जनों की संख्या में प्रदेश अध्यक्ष घूम रहे हैं। कई नेता खुद को प्रदेश महामंत्री समझ कर घूम रहे हैं। और यही कारण है कि पार्टी लाइन से हट कर एमपी बीजेपी के पदाधिकारी कुछ भी बोल रहे हैं। क्योंकि उन्हे यह मालूम है कि जिन हालातों से बीजेपी गुजर रही है तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। पार्टी में इस वक्त सबके प्रेरणा स्त्रोत भूपेन्द्र सिंह,गोविंद सिंह राजपूत,विजय शाह,जगदीश देवड़ा,फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता हैं। जिन्होने पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह अहसास दिलाया है कि हर इंसान को अभिव्यक्ति की आजादी है आप स्वतंत्र हैं कुछ भी बोल सकते हैं आप पर कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि इस वक्त का जो संगठन है वो सबसे कमजोर संगठन है। लिहाजा हर पदाधिकारी और कार्यकर्ता कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र है। भाजपा के बड़े नेताओं के विवादित बोल के बाद तो अब उसको कवर करने के लिए बकायदा पूरी सेल भी तैनात है। मतलब आप कोई गलती करो तो सजा मिलने के बजाय अब आपकी गलतियों को ढकने का पूरा काम किया जाएगा। कोई भी विवादित बयान दो तो संगठन और सरकार दोनों तरफ से गलतियों पर पर्दा डालने का काम किया जाएगा। दरअसल एमपी बीजेपी का संगठन ऐसा कभी नहीं था। भाजपा संगठन की ऐसी हालत तब से हुई जब से एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को पार्टी में शामिल किया गया। मीडिया से आया वो व्यक्ति हर अच्छे काम की परिभाषा को बदल देता है। उसकी इन हरकतों की वजह से बीजेपी का मीडिया विभाग भी अछूता नहीं है क्योंकि वो व्यक्ति ऐसे साइलेंट किलर के रुप में काम करता है कि किसी को इस बात का अंदाजा भी नहीं लगता कि आखिर ऐसा कैसे हो गया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष काफी सुलझे और मझे हुए नेता हैं जिस प्रकार से उन्होने संघर्ष किया और सफलता की एक नई परिभाषा लिखी और अन्य लोगों को भी यह विश्वास दिलाया कि अगर आप मेहनत करोगे तो सफलता झक्क मार कर आपको मिलेगी। हमेशा खुद बड़े फैसले लेने वाले प्रदेश अध्यक्ष जाने-अनजाने उस व्यक्ति की बात में आने लगे। जिस दिन से प्रदेश अध्यक्ष ने गैर राजनीतिक व्यक्ति पर आंख मूंद कर विश्वास करना शुरु कर दिया उसी दिन से भाजपा में अनिश्चितता के बादल छाने लगे। क्योंकि प्रदेश कार्यालय में हर इंसान का फीडबैक देने के लिए गैर राजनीति व्यक्ति मौजूद है। जो पर्दे के पीछे रह कर संगठन चला रहा है। मजे की बात यह है कि बड़े-बड़े फैसले लेने वाले प्रदेश अध्यक्ष खुद कब गैर राजनीतिक व्यक्ति पर अंध विश्वास करने लगे इस बात का अहसास उन्हे खुद भी नहीं हुआ। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि प्रदेश अध्यक्ष अंदर जब किसी व्यक्ति से बात करते है और जब वही व्यक्ति उनके कक्ष से बाहर आता है तो कक्ष के बाहर खड़ा गैर राजनीतिक व्यक्ति अपना मुस्कुराता चेहरा लेकर उसके पास जाता है पहले चिकनी चुपड़ी बात करता है। फिर बातों ही बातों में वो धमकी भी दे देता है जिससे प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अन्य लोगों के मन में चल रही अच्छी बातें गंदी बातों का रुप ले लेती हैं। अब सवाल इस बात का उठता है कि एक सुलसे हुए प्रदेश अध्यक्ष उसकी बातों में क्यों आने लगे हैं। जिन अध्यक्ष के नेतृत्व में एमपी बीजेपी ने साल 2020 उप चुनाव से लेकर नगरीय निकाय का चुनाव हो अथवा विधानसभा और फिर लोकसभा का चुनाव सभी में 100% जीत दर्ज करने का रिकार्ड बनाया हो वही अध्यक्ष आज एक ऐसे व्यक्ति की बातों में आकर फैसले ले रहे हैं जिसकी उम्मीद तक नहीं की जा रही थी।

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