कौन थीं देवी अहिल्या बाई सरकार को क्यों आ रही उनकी याद,पढ़िए मुखबिर की खबर

सीएम मोहन यादव नवाचार करने में कभी पीछे नहीं रहते। उनके सीएम बनने के बाद डेस्टीनेशन कैबिनेट बैठक का चलन बढ़ा। और इस बार प्रदेश सरकार देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर इंदौर में बैठक करने जा रही है। दरअसल देवी अहिल्या बाई होलकर, जो मराठा साम्राज्य की एक प्रसिद्ध महारानी थीं, का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। वो मल्हार राव होलकर के पुत्र खण्डेराव की पत्नी थीं। 1767 से 1795 तक, उन्होंने मालवा क्षेत्र पर शासन किया, जो मराठा संघ का एक हिस्सा था। उन्हें पुण्यश्लोक की उपाधि से सम्मानित किया गया, जो "पवित्र मंत्रों की तरह शुद्ध" का अर्थ है। अहिल्याबाई का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उन्हें बचपन से ही शिक्षा दी गई और वे अपनी प्रतिभा और क्षमता से विशेष बनीं। 1767 में, अहिल्याबाई को उनके पति खण्डेराव की मृत्यु के बाद होलकर राजवंश की रीजेंट और फिर शासक के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने अपने शासनकाल में न्याय, सुशासन और परोपकार के लिए अपनी पहचान बनाई. उन्होंने कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया और अपनी प्रजा के कल्याण के लिए भी काम किया। अहिल्याबाई ने भारतीय संस्कृति और धर्म के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने विभिन्न धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया। अहिल्याबाई को एक कुशल प्रशासक और राजनीतिज्ञ माना जाता था। उन्होंने मराठा साम्राज्य को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।्र
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