भाजपा की ‘विजय’ में ‘श्याह’ न उगलते बन रहा न निगलते बन रहा करें तो क्या करें,बदजुबानी बन रही संगठन के लिए चुनौती

विजय शाह नाम तो सुना ही होगा। दरअसल यह एक ऐसा नाम है जो भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार किया जाता है। आठ बार से लगातार अजेय विजय भाजपा के लिए एक कालिख बन कर उभरे हैं। जब से उन्होने कर्नल सोफिया पर बयान दिया है देश भर में विजय शाह के नाम पर भाजपा को ताने सुनने पड़ रहे हैं। भाजपा नेता भी अब इस ऊहा-पोह में हैं कि करें तो क्या करें। केन्द्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश संगठन में इसी बात के चर्चे हैं कि विजय शाह के चेप्टर को किस प्रकार से क्लोज किया जाए। यहां तक कि अब तो इस मामले में न्यायालय भी गंभीर हो गया है। विजय शाह इससे पहले भी अक्शर शुर्खियों में रहे हैं लेकिन इस बार उन्होने देश की बेटी और सेना पर बयान देकर खुद के लिए मुसीबत मोल ले लिया है। विजय शाह के साथ क्या किया जाए इस बात को लेकर बुधवार देर रात तक बैठकों का दौर भी चला जिसमें प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा,प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश मौजूद रहे लेकिन यह तय नहीं कर पाए कि इस चेप्टर को कैसे क्लोज किया जाए। भाजपा जितना इस मामले को दबाने की कोशिश करती है उतना ही यह मामला उभर कर सामने आ रहा है। इस बयान से मप्र भाजपा के संगठन पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो रहा है कि किस प्रकार का कैडर बन रहा एमपी बीजेपी। बात भूपेन्द्र सिंह की हो अथवा गोविंद सिंह राजपूत की या फिर राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल की ये वो सभी नेता हैं जो पिछले कुछ समय से पार्टी के लिए समस्या का सबब बने हैं लेकिन पार्टी इन किसी भी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे हटती रही है। इनसे इतर जो छोटे नेता हैं उनके खिलाफ भाजपा कार्रवाई करके कैडर का दिखावा जरुर कर रही है। फिलहाल विजय शाह खुद और पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं जिसका हल पार्टी के नेता निकालने में अब तक नाकाम रहे हैं।
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