कांग्रेस से भाजपा में आए ढाई लाख से अधिक कार्यकर्ता भाजपा के लिए बने समस्या,एडजस्ट करने के लिए पसोपेश में भाजपा

मध्य प्रदेश भाजपा की असली अग्नि परीक्षा अब शुरु होने जा रही है। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जमकर भाजपा में ज्वाइन कराया था। उस वक्त की बात और थी लेकिन अब कांग्रेस से आए कार्यकर्ता अपनी सीनियरिटी की बात कर रहे हैं और कहते हैं कि पार्टी में उन्हे भी पद चाहिए। लिहाजा अब पार्टी में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के सामने सभी कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की बड़ी चुनौती है। जिलों में नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर अंदरूनी खींचतान अब सतह पर भी आने लगी है। पुराने, नए और दूसरे दलों से आए नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती जिलाध्यक्षों के सामने है। हर कोई संगठन में अपनी जगह पक्की करने के लिए सक्रिय है। प्रदेश भाजपा में हेमंत खंडेलवाल की प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद अब 62 जिलों में नई कार्यकारिणियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पुराने कार्यकर्ताओं, नए शामिल हुए नेताओं और दूसरे दलों से आए नेताओं को शामिल करने की कोशिश में संतुलन साधना जरूरी हो गया है। जिला स्तर की टीमों में पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ-साथ नए और चुनाव से पहले भाजपा में आए नेताओं को भी जगह देने की मांग उठ रही है। पार्टी के पद जैसे उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री सहित मोर्चा और प्रकोष्ठों में शामिल होने के लिए कई नेता पैरवी में लगे हैं। वहीं, भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि योग्यतानुसार सभी कार्यकर्ताओं को उचित जिम्मेदारी दी जाएगी। सभी से राय लेकर टीम बनाई जाएगी और मन बड़ा रखकर समन्वय के साथ कार्य करेंगे। 62 जिलाध्यक्षों में से 30 सवर्ण वर्ग से हैं जिनमें 16 ब्राह्मण, 7 राजपूत और बाकी वैश्य समाज से हैं। 25 अन्य पिछड़ा वर्ग और 7 अनुसूचित जाति-जनजाति से अध्यक्ष चुने गए हैं। साथ ही, 7 जिलों में महिला नेत्रियों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।पिछले दो वर्षों में लगभग ढाई लाख कार्यकर्ता विभिन्न दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें से अधिकांश कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं। इन नेताओं में सरपंच से लेकर पूर्व विधायक व मंत्री तक शामिल हैं। वो अब जिला संगठन में अपनी भूमिका की अपेक्षा कर रहे हैं।
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